बांग्लादेश में 1971 के युद्ध अपराधी को सजा ए मौत

बांग्लादेश में 1971 के युद्ध अपराधी को सजा ए मौत

ढाका : बांग्लादेश की एक विशेष युद्ध अपराध अदालत ने कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी पार्टी से जुड़े एक भगोड़े इस्लामी धर्मगुरु को सोमवार को वर्ष 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान छह हिन्दुओं की हत्या और कई महिलाओं से बलात्कार जैसे अपराधों के मामले में मौत की सजा सुनाई।

तीन सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय अपराध पंचाट-2 ने अपने पहले फैसले में एक निजी टीवी चैनल के इस्लामी कार्यक्रमों के एंकर 63 वर्षीय अबुल कलाम आजाद को मृत्युदंड दिया।

पंचाट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ओबैदुल हसन ने सुनवाई के बाद ढाका में खचाखच भरे अदालत कक्ष में अबुल कलाम आजाद (उर्फ बच्चू राजाकर) को सजा ए मौत दी। यह फैसला आजाद की अनुपस्थिति में ही सुनाया गया।

कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी के पूर्व सदस्य आजाद पिछले साल अप्रैल में देश से भाग गया था क्योंकि उस पर 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों का पक्ष लेते हुए ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के आरोप लगे थे।

अदालत ने कहा कि एक इस्लामी धर्मार्थ के प्रमुख आजाद को फांसी की सजा दी गई क्योंकि उनके खिलाफ हत्या, नरसंहार, अपहरण, बलात्कार और यातनाओं के आठ में से सात आरोप बिना किसी संदेह के साबित हो गये। अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों से यह साबित होता है कि आरोपी ‘राजाकर’ बल के हथियारबंद सदस्य के तौर पर अपराधों में शामिल था।

अभियोजकों ने इससे पहले कहा कि आजाद ने खुद ही छह हिन्दुओं की गोली मारकर हत्या की थी और कई महिलाओं से बलात्कार किया था। सुनवाई के दौरान ये आरोप सिद्ध हुए। पुलिस सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि माना जा रहा है कि आजाद पाकिस्तान में छिपा है।

वकीलों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अपराध पंचाट अधिनियम के तहत, अगर आजाद अगले 30 दिन में गिरफ्तार होते हैं या आत्मसमर्पण करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय विभाग द्वारा उनके फैसले की समीक्षा की जा सकती है। तीस दिन की समयसीमा समाप्त होने पर फैसले की समीक्षा का फैसला शीर्ष अदालत पर निर्भर करेगा। (एजेंसी)

First Published: Monday, January 21, 2013, 16:51

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