बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध

बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध

ढाका : बांग्लादेश में एक ऐतिहासिक फैसले में उच्च न्यायालय ने देश की सबसे बड़ी कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी को आज ‘अवैध’ घोषित करते हुए भविष्य में उसके चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले से कभी सबसे मजबूत रूढ़िवादी दल रहे जमात का भविष्य अधर में लटक गया है।

अदालत परिसर के बाहर कड़ी सुरक्षा के बीच मामले की सुनवायी कर रहे उच्च न्यायालय पैनल के मुख्य न्यायाधीश मोअज्जम हुसैन ने कहा, ‘अब इसे अवैध घोषित किया जाता है।’ जमात के राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति हुसैन ने कहा, ‘बहुमत से यह व्यवस्था दी जाती है और चुनाव आयोग की ओर से जमात को दिए गए पंजीकरण को अवैध और निरस्त घोषित किया जाता है।’

याचिका में कहा गया था कि जमात को कभी भी राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति मिलनी ही नहीं चाहिए थी क्योंकि यह संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का उल्लंघन है। पुलिस ने बताया कि खचाखच भरी अदालत के बाहर एकत्र जमात-विरोधी प्रदर्शनकारियों ने जीत का निशान बनाकर अपनी प्रसन्नता जतायी जबकि दूसरी ओर इस्लामी दल के समर्थक ढाका और देश के अन्य शहरों में सड़कों पर उतर आए, अवरोध खड़े किए और वाहनों पर हमला किया।

उत्तरी शहर बोगरा के ठीक बाहर शुरू हुई हिंसा में जमात समर्थकों ने एक बस को आग लगा दी और कई कारों को क्षतिग्रस्त कर दिया। पार्टी ने 12 अगस्त से शुरू करके 48 घंटे के देश व्यापी बंद का आह्वान किया है। आगामी आम चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने वाले फैसले को चुनौती देते हुए जमात ‘अपीलेट डिविजन’ गया है। चुनाव आयोग का कहना है कि इस फैसले का अर्थ है कि जमात वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरूआत में संभावित आम चुनावों में भाग नहीं ले सकेगा।

न्यायमूर्ति हुसैन, न्यायमूर्ति एम. इनायतुर रहीम तथा काजी रेजाउल हक की तीन सदस्यीय पीठ ने जमात के राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया।बांग्लादेश तारिकात फेडरेशन के महासचिव रेजाउल हक चंदपुरी और 24 अन्य लोगों ने 25 मई, 2009 को याचिका दायर की थी। तारिकात एक ऐसा समूह है जो सूफी दर्शन को मानता है कि और धर्म-निरपेक्षता को बढ़ावा देता है। याचिका में इन लोगों ने कहा था कि जमात-ए-इस्लामी एक धर्म आधारित राजनीतिक दल है और यह बांग्लादेश की स्वतंत्रता तथा संप्रभुता में विश्वास नहीं रखता।

जमात के 91 वर्षीय प्रमुख को पिछले महीने वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अत्याचारों की साजिश करने के दोष में 90 वर्ष कारावास की सजा सुनायी गई। युद्ध अपराध संदिग्धों के खिलाफ वर्ष 2010 में शुरू हुई सुनवायी के बाद से अभी तक मुक्ति संग्राम के दौरा हत्या, नरसंहार, बलात्कार और धार्मिक उत्पीड़न के दोष में जमात के पांच नेताओं को मौत की सजा सुनायी गई है। वर्ष 1941 में ब्रिटिश भारत में मौलाना मौदुदी द्वारा स्थापित जमात वर्ष 1947 में विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में मुख्य इस्लामी दल बन गया। (एजेंसी)

First Published: Thursday, August 1, 2013, 23:10

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