भारत को दबाने की रणनीति नहीं : चीन

भारत को दबाने की रणनीति नहीं : चीन

भारत को दबाने की रणनीति नहीं : चीनबीजिंग : ऊर्जा सम्पन्न म्यांमार के साथ आर्थिक सम्बंधों को बढ़ावा देने की भारतीय कोशिशों के बीच चीन ने कहा है कि वह इस क्षेत्र में भारत से मिल रही प्रतिस्पर्धा का स्वागत करता है और उसको दबाने की उसकी कोई रणनीति नहीं है।

इस क्षेत्र में चीन की पहले से ही उल्लेखनीय उपस्थिति है। भारत ने मई के अंत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के म्यांमार दौरे में राष्ट्रपति थेन सेन की सरकार के साथ कई समझौते किए थे। म्यांमार के साथ भारत की 1,600 किलोमीटर लम्बी जमीनी सीमा लगी हुई है।

समाचार पत्र `म्यांमार टाइम्स` की एक रपट के अनुसार, भारत और म्यांमार के बीच व्यापार 1.2 अरब डॉलर का है, जो फिलहाल म्यांमार की तरफ अत्यधिक झुका हुआ है। इसकी तुलना में चीन, म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच 2010 में 4.44 अरब डॉलर का व्यापार था, जो कि इसके पहले के वर्ष से 53.2 प्रतिशत अधिक है।

चीनी अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान (सीआईआईएस) में वरिष्ठ फेलो, जिया सिउदोंग ने भारतीय पत्रकारों के एक समूह से कहा, म्यांमार और दक्षिण एशिया में आर्थिक व्यापार में चीन की स्थिति बहुत मजबूत है। चीन भारत के साथ प्रतिस्पर्धा का स्वागत करता है।

सिउदोंग ने यह टिप्पणी तब की, जब उनसे भारत की पूवरेन्मुखी नीति के बारे में पूछा गया। जिया ने कहा कि चीन इससे चिंतित नहीं है और वह प्रतिस्पर्धा का स्वागत करता है।

`म्यांमार टाइम्स` ने म्यांमार निवेश आयोग (एमआईसी) के आकड़े का जिक्र करते हुए अपनी रपट में कहा है कि चीन ने 2010-11 के दौरान म्यांमार में 13.6 अरब डॉलर का निवेश किया, वह भी ज्यादातर ऊर्जा क्षेत्र में। इसमें से 9.6 अरब डॉलर का निवेश 2011 में किया गया।

छह चीनी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 2011 में एमआईसी का दौरा किया था और बुनियादी ढांचे, खनन, ऊर्जा और विनिर्माण में निवेश पर चर्चा की थी। चीन ने बंगाल की खाड़ी के क्याउकप्यू बंदरगाह से दक्षिण पश्चिमी युन्नान प्रांत की राजधानी कुनमिंग तक 1,060 किलोमीटर लम्बी तेल एवं प्राकृतिक गैस की दो पाइपलाइनों पर काम शुरू कर दिया है। (एजेंसी)

First Published: Monday, July 2, 2012, 16:37

comments powered by Disqus