मिस्र में मतदान से मिले निराशा के संकेत

मिस्र में मतदान से मिले निराशा के संकेत

मिस्र में मतदान से मिले निराशा के संकेतकाहिरा : मिस्र में पिछले साल की ऐतिहासिक क्रांति के जरिए तानाशाही शासन का अंत करने वाली जनता में अब निराशा फैलती दिख रही है। इसका स्पष्ट संकेत राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में बेहद कम मतदान से मिलता है।

राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे चरण में दो उम्मीदवार मैदान में हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड के मोहम्मद मुरसी और मुबारक शासनकाल में प्रधानमंत्री रहे अहमद शफीक के बीच मुकाबला है। लोगों के पास इन्हीं दोनों में से किसी एक को अपना अगला राष्ट्रपति चुनने का विकल्प है।

आम लोगों में निराशा के प्रमुख कारण अपने पसंद के उम्मीदवारों का अभाव, नवनिर्वाचित संसद को भंग करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले हो सकते हैं। यहां की राजनीतिक स्थिरता अभी खत्म होती नहीं दिख रही है।

यहां कल सुबह मतदान शुरू हुआ था और आज रात तक चलेगा। पहले दिन महज 20 फीसदी लोगों ने मतदान किया। दूसरे दिन भी मतदाताओं में उत्साह नहीं देखा गया।

अदालत के आदेश के बाद यहां शासन कर रही सर्वोच्च सैन्य परिषद संसद को भंग करने का कदम औपचारिक रूप से उठा रही है।

माना जा रहा है कि नया संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 100 सदस्यों की एक समिति गठित की जाएगी।
मुरसी ने खुद को पिछले साल हुई क्रांति के नेता के तौर पर पेश किया है और वही शफीक ने देश में स्थिरता लाने का वादा किया है।

यहां शफीक के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। मतदान के पहले दिन मुरसी के प्रचार दल ने दावा किया कि 69 फीसदी लोगों ने उनके उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।

अलजजीरा के मुताबिक मिस्र के वकीलों के एक संगठन ने कहा कि किसी भी मतदान केंद्र पर 15 फीसदी से ज्यादा मतदान नहीं हुआ है।

कुछ जानकारों का कहना है कि अधिक तापमान के कारण ऐसा हुआ है। मौसम को देखते हुए मतदान का समय बढ़ाकर स्थानीय समयानुसार रात नौ बजे तक कर दिया गया है।

निर्वाचन आयोग के प्रमुख फारूक सुल्तान ने संवाददाताओं से कहा कि मतदान के पहले दिन ही दोनों उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए पाए गए हैं।

वैसे, संविधान नहीं होने के कारण यहां राष्ट्रपति की शक्तियों को लेकर दुविधा है। जानकार इसको लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं कि राष्ट्रपति किन शक्तियों के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करेगा। (एजेंसी)

First Published: Sunday, June 17, 2012, 21:03

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