मुर्सी ने सेना का अल्टीमेटम ठुकराया, संकट गहराया

मुर्सी ने सेना का अल्टीमेटम ठुकराया, संकट गहराया

मुर्सी ने सेना का अल्टीमेटम ठुकराया, संकट गहराया काहिरा : मिस्र में मौजूदा संकट मंगलवार को उस वक्त और गहरा गया जब कुर्सी नहीं छोड़ने की जिद पर अड़े राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी ने सेना के 48 घंटे के अल्टीमेटम को खारिज़ करते हुए कहा है कि वह 25 जनवरी, 2011 की ऐतिहासिक क्रांति की भावना से ‘एक भी कदम पीछे हटने’ की इजाजत नहीं देंगे।

मुर्सी लगातार अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। मंगलवार को विदेश मंत्री मोहम्मद कामिल अम्र ने इस्तीफा दे दिया। उनके चार मंत्रियों ने कल पद छोड़ा था।

राष्ट्रपति ने लंबे समय से सत्ता पर काबिज़ हुस्नी मुबारक को अपदस्थ करने वाले 2011 के लोकतंत्र समर्थक विरोध-प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, ‘25 जनवरी की क्रांति की सबसे अहम उपलब्धियों में से एक मिस्र में लोकतंत्र की स्थापना है। मिस्र किसी भी हालात में ऐसा कोई कदम उठाने की मंजू़री नहीं देगा जो देश को पीछे की ओर ले जाता हो।’

उधर, मुर्सी ने आज प्रधानमंत्री हिशाम कांदिल और रक्षा मंत्री जरन अब्दुल फतह अल सीसी तथा सैन्य बल के प्रमुख से मुलाकात की। राष्ट्रपति के सहायक आयमान अली ने बताया कि इस बैठक में ताजा राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा की गई।

यहां मुर्सी के इस्तीफे की मांग को लेकर शुरू हुए प्रदर्शनों के बाद तनाव को कम करने के मकसद से हुई दूसरी बैठक है।
मुर्सी से सत्ता छोड़ने की मांग करते हुए लाखों लोगों के सड़कों पर उतर आने के मद्देनज़र मिस्र की शक्तिशाली सेना ने चेतावनी दी थी कि प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग यदि 48 घंटे के भीतर नहीं मानी जाती तो वह दखल देगी। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि सेना ने अपनी घोषणा स्पष्ट नहीं की। मुर्सी ने ऐसी किसी भी घोषणा की निंदा की जिससे ‘फूट और गहरी’ हो और ‘सामाजिक शांति को खतरा ’ पैदा हो।

सेना ने नए बयान में कहा कि राजनीतिक ताकतों को सुलह करने और मौजूदा संकट को समाप्त करने के लिए दिया गया उसका 48 घंटों का अल्टीमेटम ‘सत्ता परिवर्तन की चेतावनी’ नहीं है बल्कि इसका मकसद मसले का तेज़ी से हल ढूंढना है।

विरोधी मुर्सी पर आरोप लगा रहे हैं कि मुस्लिम ब्रदरहुड के हितों को वह देश के हितों से ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, July 2, 2013, 21:38

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