Last Updated: Wednesday, September 26, 2012, 11:44
संयुक्त राष्ट्र : पाकिस्तान ने बुधवार को एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का राग अलापा जब वहां के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र के तहत इस मुद्दे का हल करने की मांग की।
जरदारी ने कहा कि कश्मीर संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की नाकामी का प्रतीक बना हुआ है और भूक्षेत्र के विवादों पर पाकिस्तान का सिद्धांतवादी रूख उसकी विदेश नीति का मजबूत आधार बना हुआ है।
उन्होंने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67 वें सत्र में 20 मिनट के अपने संबोधन में कहा कि कश्मीर संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की मजबूती की बजाय नाकामियों का प्रतीक बना हुआ है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा कि हमें लगता है कि इन मुद्दों का हल सिर्फ सहयोग के माहौल में हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हम जम्मू कश्मीर के लोगों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से अपना भविष्य चुनने के अधिकारों का समर्थन करना जारी रखेंगे। बाद में जरदारी के महासभा हॉल से बाहर निकलने पर उनसे अपनी उस टिप्पणी को स्पष्ट करने को कहा गया, जिसके तहत उन्होंने कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की ‘नाकामी का एक प्रतीक’ बताया था। लेकिन जरदारी ने न तो इसे स्पष्ट किया और ना ही इस बारे में कुछ और कहा। पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भी कश्मीर पर राष्ट्रपति की टिप्पणी पर अधिक विस्तार से कुछ नहीं बताया। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाया है, वहीं भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि यह उसका अंदरूनी मामला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी जुलाई में दिए एक साक्षात्कार में कश्मीर मुद्दे का कोई ‘बाहरी’ समाधान बताने से इनकार करते हुए कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों का हल सिर्फ उनके बीच ही हो सकता है।
जरदारी ने अपने संबोधन में उपमहाद्वीप के अपने पड़ोसी देशों के प्रति पाकिस्तान की विदेश नीति का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के साथ उनका मुल्क पारस्परिक विश्वास पर अपने संबंध आगे बढ़ाना चाहता है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 26, 2012, 11:44