Last Updated: Tuesday, June 25, 2013, 14:48
न्यूयॉर्क : भारत के सरकारी विभाग साइबर हमलों को लेकर असुरक्षित हैं क्योंकि देश की सरकार और कारपोरेट नेताओं को हैकरों के खतरों और उनके द्वारा प्रयुक्त खतरनाक तरीकों की जानकारी नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है। साझेदारी के लिए संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ सलाहकार बाबू लाल जैन ने कहा कि 20 साल के एक छात्र द्वारा भारतीय स्कूल प्रमाण पत्र परीक्षा परिषद और सीबीएसई की वेबसाइटों की हालिया हैकिंग ने साइबर हमलों को लेकर भारत के सरकारी विभागों की असुरक्षा दर्शायी है।
उन्होंने कहा, इस हमले के पीछे कोई द्वेषपूर्ण मंशा नहीं थी और इससे कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन साजिशकर्ता के शब्दों में यह साबित करना था कि ऐसी वेबसाइटें कितनी असुरक्षित हैं जिन पर स्कूल की पढ़ाई पूरी कर अपनी पसंद के क्षेत्र में जाने का प्रयास कर रहे लाखों छा़त्रों का भविष्य निर्भर है। उन्होंने कहा कि हैकिंग निरोधक प्रयासों की क्या बात की जाए, हैरानी की बात यह है कि भारत में ज्यादातर सरकार और कारपोरेट नेताओं को हैकरों द्वारा इन दिनों प्रयुक्त किये जा रहे खतरनाक तरीकों की जानकारी तक नहीं है।
अधिकारी ने कहा कि इन दिनों हैकर क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी या अन्य आपराधिक क्रियाकलापों में शामिल अपराधी सहित सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को चुराई हुई खुफिया सूचनाएं बेचने में हिचकिचाते नहीं हैं। जैन ने कहा कि बिजली ग्रिड, बंदरगाह, रेलवे, हवाई अड्डे, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं सहित ज्यादातर ढांचे इंटरनेट पर निर्भर हैं, आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर हैकर्स के खतरे आवश्यक सेवाओं को बाधित करते हैं और बड़े स्तर पर आर्थिक एवं सामाजिक अव्यवस्थाएं फैलाते हैं।
आदर्श एंटी वायरस और फायरवाल साफ्टवेयर लोड करने के बाद, भारत में ज्यादातर विभाग और कारपोरेट कंपनियां महसूस करती हैं कि उन्होंने अपने सिस्टम और नेटवर्क को साइबर हमलों से सुरक्षित कर लिया है। उन्होंने कहा कि इस गलतफहमी में वे व्हाइट हाउस और पेंटागन सहित अन्य सरकारी विभागों की वेबसाइटों और ईमेल की नियमित रूप से हैंकिंग की खबरों को नजरअंदाज करते हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 25, 2013, 14:48