Last Updated: Monday, August 19, 2013, 10:34

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस द्वारा भारत-नेपाल की सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया लश्कर-ए-तोएबा का आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा महाराष्ट्र के भिवंडी में 1985 में हुए दंगों में परिजनों की मौत का बदला लेने के लिए आतंकवादी बना और बम बनाने लगा।
दिल्ली पुलिस ने यह जानकारी दी। टुंडा से एक दिन पूछताछ कर चुकी पुलिस ने बताया कि उसको बचपन से ही विस्फोटक पदार्थो में रुचि थी। जब वह स्कूल में था तब वह एक चूरनवाले द्वारा दिखाए गए विस्फोटक करतबों को बड़े ध्यान से देखा करता था। चूरनवाला पोटाश, चीनी और तेजाब की मदद से बच्चों को आकर्षित करने के लिए हल्की आतिशबाजी किया करता था।
पुलिस की विशेष शाखा के संयुक्त आयुक्त मदन ओबेरॉय ने बताया कि जब टुंडा 12 वर्ष का था तो वह एक चूरन बेचने वाले को पोटाश और चीनी के मिश्रण पर तेजाब फेंककर आग पैदा करते हुए देखा करता था। टुंडा ने इसी से प्रभावित होकर बम बनाना शुरू किया। गिरफ्तार 70 वर्षीय आतंकवादी टुंडा स्थानीय तौर पर सहज उपलब्ध सामग्रियों जैसे यूरिया, नाइट्रिक एसिड, पोटैशियन क्लोराइड, नाइट्रोबेंजीन और चीनी की सहायता से बम बनाता था।
मुम्बई में 1985 में बम बनाने के दौरान ही उसका बांया हाथ उड़ गया, जिसके कारण उसका उपनाम टुंडा पड़ा। ओबेरॉय ने बताया कि वह युवा चरमपंथियों को पिछले 28 वर्षों से बम बनाना सिखा रहा था। पुलिस के अनुसार, जांचकर्ताओं ने बताया कि टुंडा आतंकवादियों को आईईडी बनाने का प्रशिक्षण भी देता था।
ओबेरॉय ने बताया कि दिल्ली में जन्मे टुंडा का भारत, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में बहुत अच्छी पकड़ है। टुंडा के संबंध लश्कर-ए-तोएबा, जैश-ए-मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन, बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) तथा भगोड़े अंडरवर्ल्ड माफिया दाऊद इब्राहीम के साथ नजदीकी संबंध हैं। अपनी इतनी गहरी पकड़ के बल पर ही टुंडा भारत में आतंकियों एवं विस्फोटक सामग्रियों को भेजा करता था। पूछताछ के दौरान टुंडा ने पुलिस को बताया कि वह कराची में दाऊद से कई बार मिल चुका है। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 19, 2013, 10:34