Last Updated: Wednesday, May 1, 2013, 15:09

नई दिल्ली : भारतीय संसद के इतिहास में पहले ही न्यूनतम काम-काज वाली मानी जा रही 15वीं लोकसभा में सरकार और विपक्ष के बीच बने गतिरोध के चलते संकट और बढ़ने की आशंका है ।
सीबीआई की कोयला ब्लाक आवंटन संबधी रिपोर्ट और 2 जी स्पैक्ट्रम पर जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट पर विपक्ष के रूख और लोकसभा अध्यक्ष तथा संसदीय मामलों के मंत्री द्वारा बुलायी गयी बैठकों को बहिष्कार करने के भाजपा के फैसले के चलते संसद का वर्तमान बजट सत्र निर्धारित समय से पहले समाप्ति की ओर बढ़ता लग रहा है ।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, बजट सत्र दस मई को संपन्न होना है । पिछले एक सप्ताह से विभिन्न मुद्दों को लेकर जारी गतिरोध के चलते संसदीय कामकाज बाधित होने और सदन की उत्पादकता को लेकर सवाल उठ रहे हैं ।
मौजूदा सत्र की तरह ही संसद का पिछला सत्र भी बार बार बाधित हुआ था । 12वें यानी शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा द्वारा किए गए कामकाज के रिकार्ड के अनुसार सदन को बाधा पहुंचाने के कारण कार्यवाही स्थगित किए जाने से सदन का 58 घंटे और 56 मिनट का समय बर्बाद हुआ।
लोकसभा सचिवालय के आंकड़ों के अनुसार विपक्षी सदस्यों ने पिछले सत्र में छह बार विभिन्न मुद्दों को लेकर सदन से वाकआउट किया।
इस सत्र के दौरान सदन ने सरकारी विधेयकों को पारित करने के लिए 16 घंटे और 50 मिनट का समय लगाया तथा सांसदों की ओर से उठाए गए तत्काल महत्व के विषय में छह घंटे, 34 मिनट के समय का उपयोग हुआ । इस प्रकार कुल मिलाकर पिछले सत्र में विभिन्न प्रकार का कामकाज निपटाने के लिए 61 घंटे और 45 मिनट लगाए गए जिनमें प्रश्नों पर 11 घंटे और 15 मिनट का समय भी शामिल था। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च के अनुसार संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के लिए आवंटित 146 घंटे के समय में से वर्ष 2012 में केवल 57 घंटे का समय ही इस्तेमाल हो पाया ।
वर्ष 2009 में 15वीं लोकसभा की शुरूआत के बाद से प्रश्नकाल के लिए आवंटित समय में से अनुमानत: 43 फीसदी समय का ही इस कार्य के लिए उपयोग हुआ । (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 1, 2013, 15:09