Last Updated: Thursday, March 14, 2013, 00:00
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली : प्रस्तावित दुष्कर्म रोधी कानून (एंटी रेप बिल) पर मंत्रिमंडल में उभरे मतभेद के बावजूद 16 साल की उम्र में रजामंदी से सेक्स पर मंत्रियों के समूह ने आज अपनी मुहर लगा दी है। अब गुरुवार को यह बिल कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने मंगलवार को इसे मंत्रियों के समूह (जीओएम) के हवाले कर दिया था। दूसरी तरफ सरकार ने विधेयक पर विचार विमर्श करने के लिए 18 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
अपने मतभेदों को दूर करते हुए एक मंत्री समूह ने बुधवार देर शाम यौन संबंधों में सहमति की आयु 18 से घटाकर 16 करने की सिफारिश की और पीछा करने जैसे अपराधों पर कड़ी सजा का सुझाव दिया। मंत्री समूह ने तेजी से काम करते हुए दूसरी बैठक में ही अपना काम पूरा कर लिया। इससे केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा कल आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक पर विचार का रास्ता साफ हो गया।
यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र विधेयक के अति संवेदनशील प्रावधानों में से एक थी इसी वजह से इसे केबिनेट ने कल मंत्री समूह के हवाले किया था। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं को बताया, ‘हमने प्रस्तावित विधेयक के प्रत्येक प्रावधान पर विचार किया और तमाम मसले सुलझा लिए गए हैं। अब मामला कल केबिनेट के पास जाएगा और उम्मीद है कि इसे कल मंजूरी दे दी जाएगी।’
आज की मंत्री समूह की बैठक में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 से घटाकर 16 करने पर आम सहमति हुई बशर्ते इसे संसद की मंजूरी मिले।
महिला और बाल कल्याण मंत्री कृष्णा तीरथ सहमति की आयु कम करने के किसी भी प्रयास का विरोध कर रही थीं।
सूत्रों ने बताया कि मंत्री समूह की अध्यक्षता वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने की। उन्होंने सुझाव दिया कि लगातार पीछा करने को गैर जमानती अपराध बना दिया जाए जबकि बदनीयती से घूरने का पहला अपराध जमानती अपराध हो। इस कानून को 22 मार्च तक संसद से पारित करा लेना अनिवार्य है क्योंकि यह 3 फरवरी को राष्ट्रपति की ओर से जारी अध्यादेश की जगह लेगा।
नियम के मुताबिक अध्यादेश जारी होने के छह सप्ताह के भीतर संसद की मुहर जरूरी होता है। बजट सत्र का पहला भाग 22 मार्च को समाप्त होगा और उसके बाद 22 अप्रैल को सदन फिर से बहाल होगा।
First Published: Wednesday, March 13, 2013, 20:19