Last Updated: Friday, June 22, 2012, 22:56

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को रक्षाबलों के लिए 20 हजार करोड़ रुपये मूल्य की कई खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दे दी, जिसमें सेना के लिए तुरंत प्रतिक्रिया करने में सक्षम सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (क्यूआरसैम) शामिल हैं।
सूत्रों ने यहां बताया कि रक्षा खरीद परिषद की एक बैठक में भारतीय वायु सेना के प्रस्तावों में 8500 करोड़ मूल्य के 14 डोर्नियर विमान और एक संप्रेषण नेटवर्क स्थापित करने को भी मंजूरी दे दी।
उन्होंने कहा कि वायु सेना नेटवर्क की प्रायोगिक परियोजना की सफलता के बाद इसे राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के रूप में क्रियान्वित किया जायेगा जिस पर सात हजार करोड़ रपये का खर्च आएगा। सूत्रों ने बताया कि रक्षामंत्री ए के एंटनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में नौसेना और तटरक्षक बल के युद्धपोतों के लिये 30 मिलीमीटर की तोपें आपूर्ति करने के प्रस्तावों को भी स्वीकृति दे दी गई।
परिषद ने सेना हवाई रक्षा प्रणाली के लिए क्यूआरसैम की रेजीमेंट को मंजूरी दे दी, जिसमें से तीन को इस समय चल रही 12वीं रक्षा योजना के दौरान शामिल किया जाएगा। इन मिसाइलों को शामिल करने की स्वीकृति ऐसे समय पर दी गई है जब कुछ समय पहले ही पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि सेना हवाई रक्षा प्रणाली के 97 प्रतिशत उपकरण बेकार हैं।
सेना अब रूसी मूल की क्वादरत मिसाइलों के स्थान पर नई मिसाइलें शामिल करेगी जिसके लिए वह एक वैश्विक निविदा जारी करेगी। वायु सेना ने अपने बेड़े की संख्या 41 से बढ़ाकर 55 करने के लिए डोर्नियर खरीदने का प्रस्ताव रखा है। अधिकारी ने कहा कि परिषद की मंजूरी इन विमानों की खरीददारी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से करने के लिए है। यह प्रस्तावित ठेका 1000 करोड़ रुपये (20 करोड़ डॉलर) का है। वायु सेना के लिए संचार नेटवर्क 'एयर फोर्स नेट' (एएफनेट) को पायलट परियोजना के रूप में वायु सेना ने सितंबर 2010 में शुरू किया था।
अधिकारी ने कहा कि पायलट परियोजना सफल रही इसलिए परिषद ने नेटवर्क को राष्ट्रव्यापी प्रणाली के रूप में विस्तार करने के लिए मंजूरी दी। इस पर 7000 करोड़ रुपये (1.4 अरब डॉलर) का खर्च आएगा। तीसरा खरीद प्रस्ताव भारतीय नौ सेना का है, जो इसके युद्धपोत के लिए 30 एमएम की बंदूकों की खरीददारी के लिए है। इस पर 1,500 करोड़ रुपये (30 करोड़ डॉलर) का खर्च आएगा। इन बंदूकों की पहली खेप का आयात किया जाएगा और उसके बाद प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के तहत इनका देश में ही निर्माण किया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, June 22, 2012, 22:56