Last Updated: Sunday, August 19, 2012, 16:43
मुंबई : वर्ष 2003 में मुंबई में हुए तिहरे बम विस्फोट मामले के एक आरोपी वाहिद अब्दुल शेख की जमानत बंबई उच्च न्यायालय ने इस आधार पर रद्द कर दी है कि उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत हैं। न्यायमूर्ति अभय ओका और श्रीहरि दावारे ने 17 अगस्त को शेख की जमानत रद्द कर दी और उसे निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने को कहा।
वर्ष 2003 में मुलुंड, मुंबई सेंट्रल और विले पार्ले में हुए बम विस्फोटों में 12 लोगों की मौत हो गई थी और 141 घायल हो गए थे। विस्फोट के तुरंत बाद शेख को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके सहित सभी 19 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई चल रही है। वाहिद को पिछले साल फरवरी में जमानत दी गई थी जिसे महाराष्ट्र सरकार ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। महाराष्ट्र सरकार का तर्क था कि पुलिस ने साकी नाका उपनगर में आरोपी के क्लीनिक से बम बनाने में उपयोग की जाने वाली सामग्री जब्त की थी। उच्च न्यायालय ने अपनी व्यवस्था में आतंकवाद कृत्य निरोधक (पोटा) अदालत से मुख्य आरोपी साकिब नचन को दी गई जमानत पर विचार करने को भी कहा। साकिब प्रतिबंधित संगठन सिमी का नेता है।
मामले की सुनवाई आतंकवाद कृत्य निरोधक (पोटा) अदालत में चल रही है। सरकार का तर्क है कि नचन ने बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात दंगों और मुसलमानों के खिलाफ अन्य ज्यादातियों का बदला लेकर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रची। साकिब को 10 अप्रैल 2003 को गिरफ्तार किया गया था और उसे इस साल 31 जनवरी को जमानत मिली थी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 19, 2012, 16:43