`2022 से पहले में खुले में शौचालय से मुक्ति नहीं`

`2022 से पहले में खुले में शौचालय से मुक्ति नहीं`

`2022 से पहले में खुले में शौचालय से मुक्ति नहीं`नई दिल्ली: ग्रामीण भारत में करीब 67 फीसदी परिवारों द्वारा खुले में शौच के लिए जाने को गंभीर समस्या और भारत के माथे पर एक धब्बा बताते हुए पेयजल और स्वच्छता मंत्री जयराम रमेश ने आज कहा कि देश 2022 से पहले इस शर्मनाक हालात से निजात नहीं पा सकेगा। उन्होंनें कहा कि यह अत्यंत अफसोसनाक है कि कई राज्य शौचालयों के निर्माण के बारे में बढ़ाचढ़ा कर आंकड़े देते हैं।

रमेश ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि राज्यों के आंकड़ों पर भरोसा करें तो ग्रामीण भारत के 60 फीसदी परिवारों को शौचालयों की सुविधा मुहैया कराई जा चुकी है। लेकिन वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, केवल 30 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास ही शौचालय की सुविधा है।

उन्होंने कहा कि कई राज्य आंकड़े बढ़ाचढ़ा कर बताते हैं और धन ले लेते हैं लेकिन शौचालय नहीं बनाते। ‘‘स्वच्छता के नाम पर बहुत हेराफेरी हो रही है।’

रमेश ने साफ शब्दों में कहा कि खुले में शौच की समस्या से वर्ष 2022 से पहले निजात पाना मुश्किल है क्योंकि बहुत काम करना बाकी है। उन्होंने कहा कि रेलवे प्रणाली एक खुली नाली है।

उन्होंने वासंती स्टेनले की पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि अगले पांच साल में रेलवे के 50,000 डिब्बों में बायो डाइजेस्टेबल शौचालय लगाए जाएंगे। यह शौचालय डीआरडीओ ने विकसित किए हैं।

रमेश के अनुसार, सिक्किम भारत का पहला राज्य है जहां खुले में शौच की समस्या समाप्त हो चुकी है। नवंबर में केरल ऐसा दूसरा राज्य बन जाएगा। हिमाचल प्रदेश मार्च 2013 तक और हरियाणा मार्च 2014 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेगा। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 14, 2012, 15:12

comments powered by Disqus