84 दंगा: SC ने चार की उम्रकैद बरकरार रखी

84 दंगा: SC ने चार की उम्रकैद बरकरार रखी

84 दंगा: SC ने चार की उम्रकैद बरकरार रखीनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों के दौरान राजधानी में दो व्यक्तियों को जिन्दा जलाने के जुर्म में चार मुजरिमों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है।

न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति एम वाई इकबाल की खंडपीठ ने मुजरिमों की यह दलील ठुकरा दी कि हत्या के जुर्म में उन्हें सजा नहीं दी जा सकती है क्योंकि पुलिस ने मृतकों के शव बरामद नहीं किये और इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब हुआ है। न्यायाधीशों ने कहा कि यह स्पष्ट व्यवस्था है कि हत्या के मामले में मृतक के शव की बरामदगी को कभी भी एकमात्र अपराध सार नहीं माना जाता। मौजूदा प्रकरण की तरह ही ऐसे अनेक मामले हैं जिनमे मृतक का शव मिलना असंभव होता है, विशेषकर सिख समुदाय के सदस्यों पर अलग अलग स्थानों पर हिंसक भीड़ के हमले जैसी घटनाओं में हमलावर लाशों को गायब करने और संपत्ति लूटने का प्रयास करते हैं।

न्यायाधीशों ने लाल बहादुर, सुरेन्दर पी सिंह, राम लाल और वीरेन्द्र सिंह की सजा बरकरार रखते हुये कहा कि गवाहों के बयानों में अंतर होने के आधार पर गवाही को दरकिनार नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि शायद ही कोई गवाह ऐसा होगा जिसके साक्ष्य में थोड़ा बहुत बढ़ा चढ़ा कर तथ्यों को पेश नहीं किया गया हो। कई बार जानबूझ कर ऐसा हो सकता है और कभी कभी अधिक उत्कण्ठा के कारण तथ्यों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा सकता है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 अगस्त, 2008 को इन मुजरिमों को बरी करने का निचली अदालत का फैसला निरस्त करते हुये उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी थी।

न्यायाधीशों ने कहा कि अदालत गवाहों के बयानों से सच्चाई का पता लगा सकती है और इसके लिये सारे सबूतों को दरकिनार करना अनावश्यक है। सबूतों की विश्वसनीयता के आधार पर विचार करने की आवश्यकता है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, April 10, 2013, 17:06

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