Last Updated: Wednesday, October 2, 2013, 22:32
नई दिल्ली : दोषी ठहराए जाने वाले जनप्रतिनिधियों की सदस्यता बचाने के लिए लाए गए विवादास्पद अध्यादेश पर बुधवार को लिए गए फैसले से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के कई सहयोगी नाराज दिखे।
संप्रग के दो प्रमुख घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और नेशनल कान्फ्रेंस की नाराजगी स्पष्ट देखी गई। बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्ष में हुई बैठक से बाहर आने के बाद दोनों पार्टियों के नेताओं ने अपनी नाखुशी जाहिर की।
राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार बुधवार को सरकार के यू-टर्न से सहमत नजर नहीं आए। मंत्रिमंडल की बैठक से बाहर आते हुए उनके चेहरे पर नाराजगी के स्पष्ट भाव थे। केंद्रीय कृषि मंत्री पवार ने संवाददाताओं से कहा कि हमने अपने विचार से अवगत करा दिया है। मैंने जो कुछ कहा वह पूरी तरह गोपनीय है। मैंने अपना विचार साफ तरह से रखा है।
नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह भी मंत्रिमंडल का फैसला था, यह भी मंत्रिमंडल का फैसला है। मैं नाराज नहीं हूं, लेकिन खुश भी नहीं हूं। इससे पहले सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा था कि यदि अध्यादेश वापस होता है तो इससे यही साबित होगा कि देश में केंद्र सरकार से ज्यादा बड़ा गांधी खानदान है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 2, 2013, 22:32