Last Updated: Saturday, September 29, 2012, 15:56

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर को आज देश के 39वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति कबीर ने न्यायमूर्ति एसएच कपाड़िया का स्थान लिया है, जो करीब ढाई साल तक इस पद पर रहे।
न्यायमूर्ति कबीर (64) ने राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में शपथ ग्रहण की। उन्हें नौ सितंबर 2005 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्होंने मानवाधिकार और निर्वाचन कानूनों के संबंध में तथा कई अन्य मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए। प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 18 जुलाई, 2013 तक रहेगा।
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी और कई केंद्रीय मंत्री मौजूद थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और राजद प्रमुख लालू प्रसाद भी उपस्थित थे।
कोलकाता में 19 जुलाई, 1948 को पैदा हुए न्यायमूर्ति कबीर ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एलएलबी और एम की डिग्री हासिल की है। उन्हें छह अगस्त, 1990 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति कबीर केरल के दो मछुआरों की कथित तौर पर हत्या करने वाले दो इतालवी मरीन के मामलों की सुनवाई कर रही पीठ में शामिल हैं। उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने हाल ही में कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष की ओर से भाजपा के कुछ बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने पर फैसला किया था। विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को रद्द कर दिया गया था।
उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला दिया था कि क्या किसी पार्टी से निलंबित किए गए सांसद की सदस्यता बरकरार रह सकती है। उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि किसी पार्टी से निकाला गया अथवा निलंबित किए गए सांसद की सदस्यता बरकरार रहेगी और वह संसद की कार्यवाही में भाग लेने के साथ ही मत देने का भी अधिकार रखेगा।
न्यायमूर्ति कबीर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई जांच के आदेश के फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिका पर गौर कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 29, 2012, 14:06