Last Updated: Friday, November 25, 2011, 08:46
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व न्यायाधीश सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही को शुक्रवार को असंवैधानिक घोषित करने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकालत के दौरान सेन के कनिष्ठ रहे एक अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
शुभाशीष चक्रवर्ती द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुए पीठ ने कहा कि वह संसद की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
महाभियोग की कार्यवाही हालांकि पूरी नहीं हो पाई थी क्योंकि सेन ने मामला लोकसभा में जाने से पांच दिन पहले इस्तीफा दे दिया था।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि सेन के खिलाफ कार्यवाही मनमानी और असंवैधानिक है तथा इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। पीठ हालांकि इस तर्क से सहमत नहीं हुई और याचिका को खारिज कर दिया।
कथित अनियिमितताओं और कदाचार के लिए सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई थी। राज्यसभा के सभापति द्वारा स्थापित जांच समिति ने सेन को कदाचार का दोषी ठहराया था। राज्यसभा ने सेन के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। वह पहले न्यायाधीश हैं जिन पर कदाचार के मामले में उपरी सदन द्वारा महाभियोग चलाया गया।
सेन ने हालांकि लोकसभा में कार्यवाही शुरू होने से पांच दिन पहले एक सितंबर को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को भेज दिया था।
सेन को वकील रहते अदालत का रिसीवर नियुक्त किए जाने के दौरान अपने नियंत्रण वाली 33.23 लाख रुपये की राशि में अनियमितता करने का दोषी पाया गया था। उन्हें 1983 के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष झूठे तथ्य पेश करने का भी दोषी पाया गया था।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 25, 2011, 14:19