Last Updated: Tuesday, January 8, 2013, 14:43

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली: आध्यात्मिक संत आसाराम बापू के दिल्ली गैंगरेप पर दिए बयान को लेकर बवाल भले ही मचा हो लेकिन बापू के अनुयायी उनके बयान को लेकर शर्मिंदा नहीं है। आसाराम बापू के दिए बयान पर उनके अनुयायियों का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है।
आसाराम बापू की प्रवक्ता नीलम दुबे ने सीएनएन-आईबएन न्यूज चैनल पर कहा कि 28 दिसंबर के सत्संग में बापू का प्रवचन सुनने के लिए एक लाख लोग जुटे। मीडिया उनके सिर्फ एक लाइन को लेकर बयान का मतलब निकाल रहा है। उन्होंने कहा था कि इसके लिए वह (दिल्ली गैंगरेप की पीड़िता) भी जिम्मेदार थी। लेकिन 0.1 फीसदी, वह ऐसे बस में चढ़ने के लिए जिम्मेदार थी जिसके बाद उसके साथ गैंगरेप हुआ। अगर वह ऐसे बस में नहीं चढ़ती तो उसके साथ ऐसा नहीं होता।
उन्होंने कहा कि अगर आपने उनके पूरे सत्संग को सुना होता तो आप बापू (आसाराम) के बयान की इस तरह से व्याख्या नहीं करते। गौर हो कि आसाराम बापू ने भी इस बयान पर माफी मांगने से इंकार कर दिया।
गौरतलब है कि आध्यात्मिक संत एवं गुरु आसाराम बापू ने एक सत्संग के दौरान कहा था कि राजधानी दिल्ली में बीते 16 दिसंबर को हुए गैंगरेप वारदात के लिए पीडि़त लड़की भी उतनी ही जिम्मेवार है, जितना उसके साथ इस बर्बर दुष्कर्म को अंजाम देने वाले।
उन्होंने कहा था कि केवल 5-6 लोग ही दोषी और अपराधी नहीं है। पीडि़ता बेटी भी उतनी ही दोषी है, जितना कि उसके साथ रेप करने वाले। उसे अपराधियों (रेपिस्टों) को भाई कहना चाहिए था और ऐसा करने से रोकने के लिए उसे याचना करनी चाहिए थी। ऐसा करने से उसकी मर्यादा और जिंदगी बच जाती। क्या एक हाथ से ताली बजती है? मैं ऐसा नहीं सोचता हूं।
रिपोर्ट के मुताबिक आसाराम बापू ने यह भी कहा कि वह दोषियों को कड़ी सजा दिए जाने के खिलाफ हैं। नहीं तो कानून का दुरुपयोग होगा। हमने अक्सर देखा है कि ऐसे कानूनों को अमल में लाए जाने के बाद उनका दुरुपयोग होता है। दहेज उत्पीड़न कानून इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि अगर पुरुषों के खिलाफ कानून कड़े होंगे तो इसका दुख माताओं को ही झेलना होगा।
First Published: Tuesday, January 8, 2013, 13:42