इंटरनेट डाटा की अमेरिकी निगरानी के खिलाफ PIL

इंटरनेट डाटा की अमेरिकी निगरानी के खिलाफ PIL

नई दिल्ली : अमेकिरी खुफिया एजेंसी की ओर से देश के इंटरनेट डाटा की निगरानी करने का मसला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर इस मामले में उन इंटरनेट कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया है जो निजता के अधिकार और करार के प्रावधानों का उल्लंघन करके विदेशी प्राधिकरणों के साथ सूचनाएं साझा कर रही हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पूर्व डीन प्रो एस एन सिंह ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि इतने बड़े पैमाने पर अमेरिकी विभागों की ओर से कथित जासूसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये घातक है और इसलिए इस मामले में न्यायालय को हस्तक्षेप करना चाहिए।

वकील विरोग गुप्ता के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि खबरों के अनुसार भारतीय उपभोक्ताओं के साथ हस्ताक्षरित समझौते के तहत भारत में कार्यरत अमेरिका स्थित नौ इंटरनेट कंपनियों ने भारतीय उपभोक्ताओं की सहमति के बगैर ही 6.3 अरब सूचनाएं और डाटा अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेन्सी के साथ साझा किए हैं। अमेरिकी प्रशासन की ओर से इतने बड़े पैमाने पर ऐसी जासूसी निजता के मानदंडों के खिलाफ ही नहीं बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भी घातक है।

सिंह ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध बताते हुए कहा है कि सरकार के आधिकारिक संदेश अमेरिकी निगरानी में आ गए हैं क्योंकि वे निजी इंटरनेट कंपनियों की सेवाओं का उपयोग करते हैं। उन्होंने याचिका में मुंबई हमले के बाद माइक्रोसाफ्ट कार्प के हॉटमेल के पते से जारी प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान का भी हवाला दिया है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, June 18, 2013, 20:23

comments powered by Disqus