Last Updated: Thursday, March 1, 2012, 10:31
नई दिल्ली : कानून मंत्रालय ने एंट्रिक्स-देवास एस बैंड सौदे के बाद भविष्य में किसी सरकारी पद पर आसीन होने से रोकने के सरकार के कदम के मद्देनजर अंतरिक्ष विभाग को इसरो के चार वैज्ञानिकों को फैसले के बाद अपना पक्ष रखने की इजाजत देने को कहा है।
अंतरिक्ष विभाग को दिए गए परामर्श में कानून मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस सौदे में अतिरिक्त जांच की कोई जरूरत नहीं है। इस चरण में आरोप पत्र की भी कोई जरूरत नहीं है। कानून मंत्रालय ने कहा कि वैज्ञानिकों को अपना पक्ष पेश करने का मौका मिलने के बाद उनका यह मलाल दूर हो जाएगा कि उनके साथ उचित व्यवहार नहीं किया गया।
कानून मंत्रालय ने इसरो के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर, ए. भास्करनारायण, के. आर. श्रीधरमूर्ति और केएन शंकर की पुन: नियुक्ति या उन्हें कोई महत्वपूर्ण सरकारी भूमिका सौंपे जाने पर प्रतिबंध लगाने वाले अंतरिक्ष विभाग के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों को आरोपों की वास्तविक प्रकृति से सूचित किया जाना चाहिए था।
इसके साथ ही, उसने कहा कि चूंकि सौदे की जांच करने वाली दो समितियों की रिपोर्ट अब सार्वजनिक है, इसरो के चारों वैज्ञानिक अब अपने खिलाफ आरोपों से अवगत हैं।
मंत्रालय का यह परामश अटार्नी जनरल जीई वाहनवती से मिले इनपुट पर आधारित है और इसमें कहा गया है कि वैज्ञानिकों के खिलाफ कार्रवाई दंडात्मक प्रकृति की नहीं है, लेकिन सरकार को नैसर्गिक न्याय के उसूलों का पालन करना चाहिए था।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 1, 2012, 16:01