'उत्तराखंड के लोकायुक्त की तरह हो जनलोकपाल' - Zee News हिंदी

'उत्तराखंड के लोकायुक्त की तरह हो जनलोकपाल'



नई दिल्‍ली/गाजियाबाद : उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को पारित लोकायुक्त विधेयक को शत प्रतिशत जनलोकपाल विधेयक जैसा करार देते हुए टीम अन्‍ना ने बुधवार को कहा कि यह देखना होगा कि कहीं केंद्र सरकार कोई कमजोर कानून नहीं बना दे। टीम अन्‍ना ने लोकायुक्त विधेयक पारित कराने के लिए उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों को बधाई दी।

 

अरविंद केजरीवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जब केंद्र लोकपाल विधेयक पारित करेगा तो उसमें राज्यों में लोकायुक्त का गठन करने के प्रावधान होने चाहिए। लिहाजा अगर केंद्र ने उत्तराखंड के लोकायुक्त विधेयक की तुलना में कमजोर कानून बनाया तो वह राज्य के कानून का स्थान लेकर उसका महत्व घटा देगा।

 

उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो उत्तराखंड का कानून कमजोर हो जायेगा। हमें यह देखना होगा कि क्या केंद्र उत्तराखंड में बने इस कानून को कमजोर करता है या उसे मजबूत करता है। केंद्र सरकार को इस राज्य द्वारा पारित विधेयक को अब मंजूरी दे देनी चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि अगर केंद्र ने उत्तराखंड द्वारा पारित विधेयक को कमजोर किया तो जनता इस तरह की सरकार को बर्दाश्त नहीं करेगी।

 

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित लोकायुक्त विधेयक शत-प्रतिशत टीम अन्‍ना द्वारा प्रस्तावित जनलोकपाल विधेयक के समान है। केजरीवाल ने कहा कि टीम अन्‍ना के सदस्य कुमार विश्वास उत्तराखंड सरकार के संपर्क में थे और एक महीने के भीतर तीन बैठकों में यह विधेयक तैयार किया गया।

 

उधर, उत्तराखंड में लोकायुक्त विधेयक पारित होने को शासन के क्षेत्र में क्रांति करार देते हुए टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने आज कहा कि हिसार उपचुनाव में उनके (टीम अन्ना) अभियान का असर दिखा है, हालांकि उनमें से कुछ को इस वजह से ‘कटु’ अनुभवों का सामना करना पड़ा। किरण बेदी ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ और कांग्रेस ने भी इसका समर्थन किया। इससे संभावना बन रही है कि संसद के शीतकालीन सत्र में जन लोकपाल विधेयक बिना किसी विरोध के पारित हो सकता है। उनका मानना था कि लोकायुक्त विधेयक का सर्वसम्मति से पारित होना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अन्य राज्यों में भी इसका मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।

 

उन्होंने कहा कि लोकायुक्त विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किए जाने में कांग्रेस भी शामिल थी। अब पार्टी कैसे पीछे हट सकती है। अगर उत्तराखंड में यह पारित हो सकता है तो संसद में भी यह सर्वसम्मति से पारित हो सकता है।

(एजेंसी)

First Published: Thursday, November 3, 2011, 12:15

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