Last Updated: Friday, August 26, 2011, 12:10
भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए अन्ना का अनशन गंभीर और निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. एक ओर जहां सरकार अन्ना की मांग को संसद और संविधान की दुहाई देकर खारिज कर रही है, वहीं अन्ना जनभावनाओं का सम्मान करते हुए जनलोकपाल बिल को कानून बनाने की मांग पर अडिग हैं. बड़ा सवाल यह है कि देश में किसकी सर्वोच्चता मानी जाए- संसद, संविधान या फिर जन आवाज़ की.