Last Updated: Friday, June 21, 2013, 00:48
ज़ी मीडिया ब्यूरो देहरादून/नई दिल्ली: प्रलंयकारी बारिश और बाढ़ की विनाशलीला झेल रहे उत्तराखंड में गुरुवार को राहत और बचाव कार्य को और तेज कर दिया गया जहां सबसे बुरी तरह प्रभावित केदारनाथ और अन्य क्षेत्रों से लोगों को निकालने का काम अनेक एजेंसियां कर रहीं हैं। इस भीषण आपदा में मृतकों की संख्या कई सौ होने की आशंका है। इस भीषण आपदा में हजारों लोग अभी भी लापता हैं। फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लाने के लिए दर्जनों हेलीकाप्टर लगाए गए हैं। इन हेलीकाप्टरों ने सैकड़ों फेरे लगाए और अब तक बीस हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला है।
बादल फटने और बाढ़ की आपदा से जूझ रहे राज्य के कई इलाकों में अब भी 50,000 से ज्यादा लोग फंसे हुए बताए जाते हैं। उपरी पहाड़ियों में बादल फटने और भारी वर्षा के कारण निचले इलाकों में उतरे कुदरत के कहर ने सैकड़ों घरों, अतिथिगृहों और इमारतों को लील लिया तथा कई हजार लोग लापता हैं।
आधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या 150 बताई गई है, लेकिन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि मरने वालों का आंकड़ा कई सौ में हो सकता है जो इलाकों तक संपर्क बनने और पानी का स्तर घटने के बाद ही पता चलेगा। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन केंद्र ने सुबह कहा था कि 90 धर्मशालाओं के बाढ़ में बह जाने से हजारों तीर्थयात्रियों के मरने की आशंका है।
राहत और बचाव अभियानों में तेजी लाते हुए रक्षा मंत्रालय ने सेना और नौसेना के 45 से ज्यादा हेलीकाप्टर और 10,000 सैनिकों को वर्षा से घिरे पर्वतीय राज्य में तैनात किया है। भारतीय वायुसेना ने राज्य में 20 एम आई-17 और 16 आधुनिक हलके हेलीकाप्टर लगाए थे, जो अब तक 1,500 से ज्यादा मुसीबतजदा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा चुके हैं। सेना ने सीमा सड़क संगठन के 3,000 जवानों के साथ ही 8,000 से ज्यादा अपने जवानों को राज्य में तैनात किया है। रक्षा मंत्रालय अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी। संपर्क और संचार व्यवस्था ठीक न होने के कारण राज्य के बाहर से आये अनेक तीर्थयात्रियों के रिश्तेदार अपने परिजन का पता लगाने के लिए मारे मारे घूम रहे हैं।
उत्तराखंड के प्रधान सचिव (गृह) ओम प्रकाश ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अलग अलग जगहों से 1,000 लोगों को बचा लिया गया है। केदारनाथ घाटी में और इसके आसपास करीब 200 लोग अब भी फंसे हुए हैं और कल उन्हें निकाला जाएगा। आईटीबीपी के प्रमुख अजय चड्ढा ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि सबसे बुरी तरह प्रभावित केदारनाथ मंदिर क्षेत्र से लोगों को निकाला गया है और उंचे इलाकों में अब भी करीब 400 से 500 लोग हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों को निकालने के लिए कल अभियान शुरू किया जाएगा। प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर के चारों ओर रामबाड़ा इलाके में अब भी कीचड़ और मलबा है और इसमें लोगों के शव दबे होने की भी आशंका है। आईटीबीपी के 1,000 जवान उत्तराखंड में राहत कार्यों में लगे हुए हैं।
चड्ढा ने बताया कि 22,000 से अधिक लोगों को निकालने के लिए 22 हेलीकॉप्टर लगाये गये हैं जो कई उड़ान भरेंगे। रक्षा बल जरूरतमंदों तक खाना, दवाएं और अन्य जरूरी चीजें भी पहुंचा रहे हैं। आईटीबीपी के डीजी, जो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के भी प्रभारी हैं, ने कहा कि विशेष बलों के जवानों ने केदारनाथ क्षेत्र से 17 शव निकाले। इस बारे में राज्य सरकार को सूचित कर दिया गया है। केदारनाथ मंदिर जाने वालों के लिए आधार शिविर गौरीकुंड से भी छोटे हेलीकॉप्टरों से 250 लोगों को बचाया गया।
चड्ढा ने कहा कि कई रास्तों को खोला जा रहा है और उम्मीद है कि पैदल निकलने के लिए कल तक जोशीमठ के रास्ते को खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ का क्षेत्र अन्य इलाकों के मुकाबले गंभीर स्थिति में नहीं हैं और लगभग ऐसी ही स्थिति यमुनोत्री और गंगोत्री की है। महानिदेशक ने कहा कि बचाए गए लोग अभी तक प्रकृति की भयावह मार से उबर नहीं पाए हैं। उन्होंने बीमारियों के प्रकोप की आशंका को भी खारिज नहीं किया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने आपदा को अभूतपूर्व बताया। बहुगुणा ने यहां सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि आपदा बहुत बड़ी है और नुकसान भी भारी-भरकम है। काफी बड़ा भूभाग अब भी टनों मलबे में दबा हुआ है। हताहतों की संख्या कई सौ हो सकती है। प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा कि उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गों पर फंसे हुए 11,000 लोगों को हवाई और सड़क मागोर्ं से बचाया गया है। शर्मा ने कहा कि हमारा ध्यान इस समय पूरी तरह केदारनाथ घाटी से लोगों को निकालने पर है जहां 250 लोग अब भी फंसे हुए हैं। इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद हम बद्रीनाथ की ओर बढ़ेंगे जहां 9,000 लोग फंसे हुए हैं। आपदा में मृतकों की सही-सही संख्या के सवाल पर शर्मा ने कहा कि कोई आंकड़ा बताना मुश्किल है लेकिन यह संख्या स्तब्ध करने वाली हो सकती है।
गंगोत्री और यमुनोत्री से लोगों को बचाने के अलावा उत्तरकाशी के हर्शिल से छह विदेशी पर्यटकों को बचाया गया है। पिथौरागढ़ जिले के मिलाम और बर्फू से सात और विदेशियों को निकाला गया है। शर्मा ने कहा कि हर्शिल में करीब 1,500 यात्री फंसे हुए हैं जिन्हें हेलीकॉप्टरों से बचाया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में अस्थाई हैलीपैड बनाने के प्रयास चल रहे हैं ताकि बड़े एमआई-17 हेलीकॉप्टर उतर सकें और लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की प्रक्रिया तेज हो सके।
इस बीच राजधानी दिल्ली से प्राप्त जानकारी के अनुसार रक्षा मंत्री एके एंटनी राहत और बचाव अभियानों पर नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने सशस्त्र बलों को अभियानों को अधिकतम संभव सहायता देने का निर्देश दिया है। सूत्रों ने बताया कि सेना ने केदारनाथ और सोनप्रयाग इलाके में विशेष बल के 100 से अधिक जवानों को भी तैनात किया है। यह इलाका अभी तक मुख्य भूमि से कटा हुआ है और विशेष बलों के जवानों को पिछले चार पांच दिन से वहां फंसे लोगों से संपर्क स्थापित करने के इरादे से वहां भेजा गया है।
सेना की विज्ञप्ति में बताया गया कि सेना ने अब तक 11,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला है। इनमें से ज्यादातर को गोविंदघाट और हषिर्ल से निकाला गया। करीब 10,000 लोगों को खाना और चिकित्सा सहायता मुहैया कराई गई। सेना ने कुमायूं क्षेत्र में अपनी एक टुकड़ी को लगाया है, जहां 50-60 से ज्यादा लोग पिंडारी ग्लेशियर और सुंदर डुंगा ग्लेशियर में फंसे हुए हैं। सेना के प्रवक्ता वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि 77 सैनिकों के साथ सेना की एक टुकड़ी दो अधिकारियों के नेतृत्व में आज सुबह बागेश्वर जिले के कपकोट इलाके में पहुंच गई है। टुकड़ी इस समय पैदल गुमला की ओर बढ़ रही है और इसके 21 जून तक दोनो ग्लेशियर तक पहुंचकर वहां फंसे लोगों से संपर्क साधने की उम्मीद है।
सेना के जवानों ने अरवा तल से पर्वतारोहण पर निकले 11 पर्वतारोहियों और 43 पिट्ठुओं के एक दल को भी गंगोत्री-माना में बचाया और उन्हें सुरक्षित घसतोली लाया गया है, जहां उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करने के बाद बद्रीनाथ रवाना कर दिया जाएगा। सिंह ने बताया कि गौचेर, हर्षिल, जोशीमठ और रूद्रप्रयाग में संचार तंत्र स्थापित किया गया है ताकि वहां से लोग अपने परिजन से संपर्क स्थापित कर अपनी खर खबर बता सकें। अब तक यहां 30 सैटेलाइट फोन लगाए गए हैं और फंसे हुए तीर्थयात्रियों के लिए 20 और फोन इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है।
सेना और भारतीय वायु सेना के जवान अग्रिम क्षेत्रों में अपने छोटे विमानों के लिए उतरने की जमीन तैयार करने में लगे हैं ताकि वहां फंसे लोगों को जल्द वहां से निकाला जा सके। भारतीय वायुसेना अपने सी 130 जे विशेष अभियान विमानों को गौचर में उतारने की संभावना पर काम कर रही है ताकि वहां ज्यादा राहत सामग्री और अधिक राहतकर्मियों को पहुंचाया जा सके और वहां फंसे लोगों को वहां से जल्द निकाला जा सके।
सिंह ने बताया कि सेना हेमकुंड साहिब के नजदीक गगरिया में एक बड़ा हैलीपैड बनाने की संभावना का पता लगा रही है ताकि एमआई 17 विमानों का इस्तेमाल करके बड़ी संख्या में लोगों को वहां से निकाला जा सके।
First Published: Thursday, June 20, 2013, 17:36