`एनआरएचएम में पारदर्शिता नहीं`

`एनआरएचएम में पारदर्शिता नहीं`

नयी दिल्ली : संप्रग सरकार की प्रमुख योजना राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) की सरकार के भीतर ही आलोचना हो रही है और पंचायत राज मंत्रालय का आरोप है कि मिशन पारदर्शी नहीं है।

ग्रामीण भारत के लिए चलाए गए करोड़ों रुपये के इस मिशन की आलोचना करते हुए पंचायती राज मंत्रालय ने अपने स्वास्थ्य विभाग से एनआरएचएम के तत्वों और ग्राम सभाओं के लाभार्थियों का स्वैच्छिक खुलासा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। इसने कहा कि इससे ग्रामीण भारत में सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल करने में मदद मिलेगी। पंचायती मंत्रालय ने गबन (जैसा कि उत्तर प्रदेश में देखा गया) रोकने के लिए एनआरएचएम कोष का सामाजिक अंकेक्षण भी मांगा है।

मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एच पांडा ने कहा, एनआरएचएम योजना पारदर्शी नहीं है। एनआरएचएम में जो भी कुछ हो रहा है, उसे ग्राम सभाओं के जरिए बताया जाना चाहिए। योजना, इससे संबंधित चीजों और लाभार्थियों के बारे में सूचना का स्वैच्छिक खुलासा होना चाहिए। लोग अभी इस अधिकार के बारे में नहीं जानते। सूत्रों ने बताया कि पंचायती राज मंत्रालय ने विभिन्न स्तरों पर एनआरएचएम के ढांचे पर चिंता जताई है और यहां तक कि मुद्दे को 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए चर्चा के दौरान भी उठाया।

एनआरएचएम की आलोचना ऐसे समय आई है जब सरकार मनरेगा में खामियों की बात स्वीकार कर रही है।
प्रधानमंत्री ने अब योजना आयोग को निर्देश दिया है कि वह योजना को पुनर्जीवित करे और खामियों को दूर करे ।
एनआरएचएम के बारे में पांडा ने कहा कि ग्राम सभाओं को स्वैच्छिक खुलासे से योजना का स्वत: ही सामाजिक अंकेक्षण हो जाएगा।

पांडा ने कहा, एनआरएचएम को नए नजरिए से देखे जाने की जरूरत है, ताकि ग्राम सभाएं इस बारे में जागरूक हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि एनआरएचएम में पारदर्शिता होती तो उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की हत्याएं नहीं होतीं।

वर्ष 2005 में शुरू हुई योजना 12वीं पंचवर्षीय योजना में पांच साल के लिए और विस्तारित कर दी गई है ।
पंचायती राज मंत्रालय योजना में पारदर्शिता नहीं होने का मुद्दा उठाता रहा है और इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय को दो बार से अधिक लिख चुका है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, July 15, 2012, 19:19

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