कर्ज के बोझ से लदा किसान आत्महत्या को मजबूर: मोदी

कर्ज के बोझ से लदा किसान आत्महत्या को मजबूर: मोदी

कर्ज के बोझ से लदा किसान आत्महत्या को मजबूर: मोदीगांधीनगर : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र के लिए आसानी से कर्ज की सुविधा नहीं की गयी है।

यहां महात्मा मंदिर में वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक कृषि शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा, ‘बोझिल बैंकिंग प्रक्रिया और कर्ज के बोझ तले दबे होने की वजह से किसान आत्महत्या करने पर विवश हैं। पिछले 20 सालों में करीब 2,70,000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।’

मोदी ने कहा, ‘केंद्र सरकार बैंकिंग, नाबार्ड के बारे में महज बातें बनाती है, लेकिन यह देखकर बहुत दुख होता है कि आज भी 30 प्रतिशत से कम किसान ही बैंक ऋण की सुविधा उठाने में समर्थ हैं। बाकी किसानों को साहूकारों की शरण में जाना पड़ता है जो किसानों से ऊंचा सूद वसूलते हैं उन्हें बर्बाद कर देते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘बैंकिंग प्रक्रिया इतनी बोझिल है कि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होता। क्यूं न हम किसानों के अनुकूल बैंकिंग प्रक्रिया अपनाएं। जब तक हम इसे किसानों के अनुकूल नहीं करेंगे, हम अपने किसानों को नहीं बचा पाएंगे।’

मोदी ने दावा किया कि हर दिन 2,500 किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। ‘किसानों में असुरक्षा की भावना इस कदर घर कर गई है कि वे खेती छोड़ रहे हैं। इससे पता चलता है कि हमारे ऊपर कितना गंभीर संकट मंडरा रहा है।’

मोदी ने कहा कि भारत में कृषि उत्पादकता अन्य देशों के मुकाबले घट रही है। उन्होंने कहा, ‘ नीदरलैंड प्रति हेक्टेयर 8.9 टन गेहूं पैदा कर रहा है, जबकि भारत में गेहूं की पैदावार प्रति हेक्टेयर 2.8 टन है। पेरू एक छोटा सा देश है जो प्रति हेक्टेयर 125 टन गन्ना पैदा कर रहा है, जबकि हम 66 टन गन्ना पैदा कर रहे हैं। केला उत्पादन में इंडोनेशिया का औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 60 टन है, जबकि भारत में यह 38 टन है।’

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, ‘कुछ साल पहले मैंने उन्हें सुझाव दिया था कि पेप्सी, कोका कोला, फैंटा जैसे प्रत्येक एरेटेड पेय में 5 प्रतिशत प्राकृतिक जूस मिलाने की अनिवार्यता के लिए एक कानूनी प्रावधान किया जाना चाहिए। इससे हमारे किसानों की काफी मदद होगी। लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में इस सुझाव को नजरअंदाज कर दिया गया।

शिखर सम्मेलन के बारे में मोदी ने कहा, ‘यह गुजरात और भारत में अपनी तरह की अनूठी पहल है जहां दुनिया के कई सारे देश साझीदार बने हैं। यह कहीं और बेहतर कार्यक्रम हो सकता था, यदि सरकार द्वारा इसका आयोजन दिल्ली में किया जाता।’

उन्होंने कहा कि 29 राज्यों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों के 542 जिलों से 4,000 से अधिक किसान इसमें हिस्सा लेने के लिए गांधीनगर आए हैं। मोदी ने सुझाव दिया कि प्रत्येक राज्य को अपनी खुद की कृषि निर्यात संवर्धन नीति बनानी चाहिए।

मोदी ने कहा, ‘यदि हम अपने किसानों को सशक्त बनाएंगे तो वे चालू खाते के घाटे की समस्या का भी समाधान कर सकते हैं।’ दो दिवसीय वैश्विक कृषि सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया और कृषि एवं लागत मूल्य के चेयरमैन अशोक गुलाटी ने संबोधित किया। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 9, 2013, 20:10

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