Last Updated: Wednesday, November 21, 2012, 16:07

मुंबई : लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादी अजमल कसाब को पता था कि उसे 21 नवंबर की सुबह फांसी पर लटकाया जाएगा। कसाब को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से 19 नवंबर को पुणे की यरवदा जेल ले जाए जाने से पहले, उससे उसके डेथ वारंट (मौत का वारंट) पर हस्ताक्षर कराए गए थे।
देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के दौरान एकमात्र जीवित पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को इन हमलों के करीब चार साल बाद आज पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कसाब को उसकी कोठरी में डेथ वारंट पढ़ कर सुनाया और उसे बताया कि उसकी दया याचिका राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने खारिज कर दी है।
कसाब लश्कर-ए-तोएबा के उस दस सदस्यीय आतंकी समूह का हिस्सा था, जिसने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हमला कर 166 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। सूत्रों ने बताया कि डेथ वारंट पढ़ कर सुनाए जाने के बाद कसाब से उस पर हस्ताक्षर करने को कहा गया। कसाब ने हस्ताक्षर कर दिए।
बाद में कसाब को यरवदा जेल की पुलिस अपने साथ ले गई। इस अभियान के बारे में स्थानीय पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी गई। सिर्फ कुछ अधिकारियों को छोड़ कर, 200 जवानों वाली आईटीबीपी की टुकड़ी को भी कसाब को पुणे जेल ले जाए जाने के बारे में नहीं बताया गया। आईटीबीपी की टुकड़ी मार्च 2009 से 25 वर्षीय कसाब की सुरक्षा के लिए मुंबई की आर्थर रोड जेल में तैनात थी। इस पाकिस्तानी आतंकवादी को पुणे की यरवदा जेल ले जाए जाने के बावजूद आईटीबीपी के जवाब उसकी खाली पड़ी, उच्च सुरक्षा वाली कोठरी की निगरानी करते रहे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 21, 2012, 16:07