Last Updated: Friday, August 10, 2012, 22:59
नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी भी आरोपी को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है और इसमें कोई भेद नहीं किया जा सकता, भले ही कानूनी सहायता सुनवाई या किसी अदालती आदेश के खिलाफ अपील के लिए मांगी गई हो। अदालत का यह फैसला गुरुवार को आया, लेकिन इसे शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया।
न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हमारा मानना है कि किसी आरोपी या हिरासत में लिए गए व्यक्ति को नि:शुल्क कानूनी सहायता मुहैया कराने में सुनवाई या अपील के बीच न तो संविधान और न ही कानूनी सहायता प्राधिकरण अधिनियम विभेद करता है।
निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि कानूनी सहायता प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अनुसार, हिरासत में लिए गए हर उस व्यक्ति को कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है, जिसे कोई मामला दायर करना हो या अपना बचाव करना हो। सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पांच सितम्बर, 2006 के एक फैसले को खारिज करते हुए सुनाया, जिसमें आरोपी राजू का कोई वकील नहीं होने के बावजूद निर्णय सुना दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को राजू की अपील फिर से सुनने के लिए कहा है। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 10, 2012, 22:59