Last Updated: Saturday, December 3, 2011, 14:40
नई दिल्ली : विकिलीक्स के संस्थापक जुलियन असांजे ने कहा है कि स्विस बैंक में भारतीय खाताधारकों के नाम अगले साल कभी भी जाहिर किए जा सकते हैं।
ब्रिटेन में नजरबंद असांजे ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इस मामले में सूचनाओं वाला सीडी देने वाले रुडाल्फ एल्मर के संबंध में सुनवाई चल रही है और इस समय कुछ भी खुलासा करना उपयुक्त नहीं होगा। यह पूछे जाने पर कि स्विस बैंकों में भारतीय खाताधारकों के नाम आने वाले वर्ष में जाहिर किए जाएंगे, उन्होंने कहा, ‘हां।’ उन्होंने कहा कि ऐसे खातों जिसकी सूचनाओं का भारत में प्रभाव पड़ेगा, उनका आने वाले वर्ष में खुलासा किया जाएगा।
असांजे ने कहा कि चूंकि एल्मर जेल में हैं और कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं, इसलिए वह इस विषय पर कुछ नहीं बोलेंगे। उन्होंने कहा, ‘इसी कारण से दुर्भाग्यवश मैं स्विस खातों के बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा। हमें अपने लोगों का बचाव करना चाहिए।’ ऑस्ट्रेलिया के इस भंड़ाफोड़ करने वाले ने कहा कि कुछ देशों की सरकारें ई-मेल और इंटरनेट लेनदेन से जुड़े लेनदेन से संबंधित सूचनाएं निकालकर उन्हें वालमार्ट जैसी कंपनियों को प्रदान कर रही हैं।
उन्होंने हैकिंग और असंदिग्ध लोगों की सूचनाएं हैक करने से संबंधित कुछ स्तब्ध करने वाले खुलासे किए। असांजे ने कहा कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की तर्ज पर गठित एनटीआरओ भी इस्लामी आंतक पर इसी तरह से निगाह रख रही है। उन्होंने कहा कि ई-मेल से जुड़ी सूचनाएं और इंटरनेट के माध्यम से केडिट कार्ड और डेबिट कार्ड लेनदेन प्रशांत सागर और अमेरिका में भेजी जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘इस मिशन का एक हिस्सा वालमार्ट, लाकहिड मार्टिन और बोइंग जैसी कंपनियों को आर्थिक खुफिया सूचना प्रदान करना है। वे (सुरक्षा और निजी एजेंसी) खुफिया सूचना निकालते हैं और आर्थिक फायदे के लिए उनका उपयोग करते हैं।’ हालांकि उनके पास लाभ प्राप्त करने वाली कंपनियों के बारे में कोई सबूत नहीं हैं। गौरतलब है कि मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दिए जाने के बाद वालमार्ट उन कंपनियों में शामिल होगी जो भारत में अपना स्टोर स्थापित करेंगी। असांजे ने दावा किया कि दो भारतीय कंपनियां रिसर्च एंड एलालिसिस विंग (रॉ) को ई-मेल और मोबाइल की निगरानी करने में मदद कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि फ्रांस की एक बड़ी कंपनी लीबिया के तानाशाह गद्दाफी को लोगों पर नजर रखने में मदद कर रही थी। इस कंपनी के पास हिन्दी और तमिल भाषा में आदान-प्रदान पर भी निगाह रखने की क्षमता है। असांजे ने कहा कि छह वर्ष पहले जब वह इस क्षेत्र में शोध कर रहे थे तब उन्हें चीन की ओर से सीबीआई प्रणाली को हैक करने की सूचना मिली जो अपने उद्देश्य के लिए सूचनाएं निकाल रहे थे।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 6, 2011, 10:14