Last Updated: Wednesday, March 6, 2013, 00:48

नई दिल्ली : यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में लागू की गई 52,000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी योजना के अमल पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए सरकारी लेखा परीक्षक कैग ने कहा है कि इस योजना में कई मामलों में उन किसानों को फायदा पहुंचाया गया जो इसके हकदार नहीं थे तथा कई मामलों में लाभ के पात्र किसानों को वंचित रखा गया। उधर, किसानों की कर्ज माफी के लिए केंद्र सरकार की योजना में अनियमितताओं की ओर इशारा करती नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को चौंकाने वाली करार देते हुए भाजपा ने मामले में तत्काल सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने संबंधित अधिकारियों और बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। इस योजना पर कैग की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में प्रस्तुत की गई। इसमें कहा गया है कि उसने जितने खातों की जांच की उनमें 22 प्रतिशत से अधिक मामलों में चूक या गड़बड़ी हुई जिससे इस योजना के क्रियान्वयन पर गंभीर चिंता होती है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाया कि रिकार्ड से छेड़-छाड़ हुई है। उसने अरबों रुपये की इस योजना के क्रियान्वयन की निगरानी में खामी के लिए वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) की खिंचाई की है।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्य निष्पादन की लेखा परीक्षा से कुल मिलाकर यह बात सामने आई कि इस योजना के क्रियान्वयन में (जांच किए गए मामलों में 22.32 फीसदी में) चूक या गड़बड़ी पाई गई जिससे इस योजना के क्रियान्वयन के बारे में गंभीर चिंता पैदा हो गई है। रिकार्डों से छेड़-छाड़ का हवाला देते हुए कैग ने सुझाव दिया है कि वित्तीय सेवा विभाग को ऐसे मामलों की समीक्षा करनी चाहिए और गलती करने वाले अधिकारियों और बैंको के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि कई मामलों में जिन किसानों ने गैर कृषि उद्देश्य से ऋण लिया था या जिनका ऋण इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने योग्य नहीं था उन्हें लाभ पहुंचाया गया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 5, 2013, 18:23