कुडनकुलम के खिलाफ ‘जल सत्याग्रह’ से विरोध हुआ तेज

कुडनकुलम के खिलाफ ‘जल सत्याग्रह’ से विरोध हुआ तेज

कुडनकुलम के खिलाफ ‘जल सत्याग्रह’ से विरोध हुआ तेज
चेन्नई/नईदिल्ली/मुम्बई : तमिलनाडु में कुडनकुलन परमाणु विद्युत संयंत्र (केएनपीपी) के खिलाफ इडिंथाकराई गांव में सैकड़ों लोगों ने गुरुवार को समुद्र में खड़े होकर `जल सत्याग्रह` किया, जिससे इस संयंत्र के खिलाफ माहौल गरमा गया है। एक कार्यकर्ता ने बताया कि सत्याग्रह शुक्रवार को भी जारी रहेगा। प्रदर्शनकारी दो रिएक्टरों में से एक में ईंधन के रूप में यूरेनियम भरे जाने के खिलाफ हैं।

उधर, रिएक्टर में ईंधन भरने पर रोक लगाने से इंकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इससे सम्बंधित याचिका पर सुनवाई 20 सितम्बर को होगी। वहीं परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड ने कुडनकुलम संयंत्र को सुरक्षित बताया, लेकिन रिएक्टर में ईंधन डालने की अनुमति नहीं दी। पीपुल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी (पीएमएएनई) के एक नेता एम. पुष्पारायन ने इडिंथाकराई से फोन पर बताया कि हमने जल सत्याग्रह शुक्रवार को भी जारी रखने की योजना बनाई है।
पुष्पारायन ने कहा कि समुद्री लहरों के थपेड़े झेलते हुए ग्रामीणों ने शाम चार बजे तक जल सत्याग्रह किया। कमर तक पानी में खड़े एक आंदोनकारी कहा कि हम समुद्र में खड़े रहेंगे और रिएक्टरों में से एक में यूरेनियम ईंधन भरे जाने का विरोध करते रहेंगे। विरोध करने से हमें कोई रोक नहीं सकता। कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के आसपास रह रहे लोगों ने समुद्र में एक मानव श्रृंखला बनाई। हाल ही में मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध के खिलाफ ऐसा ही एक जल सत्याग्रह हुआ था।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने एक समाचार चैनल से कहा कि किसी भी तरह का सत्याग्रह साधारण विरोध नहीं है। इसमें लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं। यह सत्ताधारी वर्ग से अपील करने का एक अहिंसक तरीका है और उन्हें लोगोंकी बात सुननी चाहिए। पुष्पारायन ने कहा कि पुलिस ने पीएमएएनई के समन्वयक एस.पी. उदयकुमार और उनकी पत्नी को सम्मन जारी किया है।
एक दिन पूर्व बुधवार को तिरुनेलवेली जिले के इडिंथाकराई गांव में 48 घंटे बाद लोगों को प्रदर्शन उस समय खत्म करना पड़ा था, जब पुलिस ने आंसूगैस के गोलों का इस्तेमाल किया, लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों की घर-घर तलाशी ली।

कुडनकुलम परमाणु विद्युत परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन यों तो एक साल से जारी है, मगर सोमवार को प्रदर्शन हिंसक हो उठा। तूतीकोरीन जिले में पुलिस की गोलीबारी से एक आंदोलनकारी की मौत हो गई थी और लाठीजार्च में कई लोग घायल हो गए थे। उल्लेखनीय है कि भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड (एनपीसीअाईएल) ने कुडनकुलम में रूस की मदद से 1,000 मेगावाट के दो रिएक्टरों का निर्माण कर रहा है। इस परियोजना का कार्य 2001 से ही चल रहा है।
दूसरी ओर, सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि उस याचिका पर सुनवाई 20 सितम्बर को होगी जिसमें केंद्र सरकार को ईंधन भराई रोकने का निर्देश देने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन एवं न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने याचिका पर तुरंत कोई आदेश पारित करने से इंकार कर दिया। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े पी. सुंदरराजन ने यह याचिका मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि सरकार को ईंधन भराई की अनुमति तब तक नहीं देनी चाहिए, जब तक कि विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए गए सुरक्षा के 17 उपायों को लागू नहीं किया जाता।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने अदालत से कहा कि विशेषज्ञ समिति का गठन जापान में फुकुशिमा परमाणु विद्युत संयंत्र में दुर्घटना होने के बाद किया गया था। भूषण ने अदालत से कहा कि विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए गए सुरक्षा के 17 उपायों में से मात्र छह को लागू किया गया है और शेष 11 उपाय लागू करने के लिए भारतीय परमाणु विद्युत निगम (एनपीसीआईएल) को छह से दो साल तक का समय चाहिए। वहीं, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड ने गुरुवार को केएनपीपी को सुरक्षित बताया, लेकिन कहा कि एक आखिरी मूल्यांकन रिपोर्ट के इंतजार में उसने ईंधन डालने की अनुमति नहीं दी है।
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) के अध्यक्ष एस.एस. बजाज ने कहा कि जहां तक सुनामी जैसी आपदा का सवाल है, तो केएनपीपी सुरक्षित है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि ईंधन डालने की अनुमति हालांकि भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के आखिरी मूल्यांकन रिपोर्ट पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि बिना पूर्ण संतुष्टि के एईआरबी मंजूरी नहीं देगा। (एजेंसी)

First Published: Friday, September 14, 2012, 10:28

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