Last Updated: Sunday, October 7, 2012, 18:06

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सरकारी एजेन्सियों द्वारा संपत्ति कुर्क करने संबंधित कार्यवाही लंबित होने के दौरान ऐसी संपत्ति की बिक्री या उसका हस्तांतरण अवैध है और नेकनीयती में ऐसी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति इस पर अपना दावा नहीं कर सकता है।
न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी एजेन्सी द्वारा कुर्की का नोटिस जारी करते ही यह संपत्ति केन्द्र सरकार के अधीन हो जाती है और इसका स्वामी इसे बेच नहीं सकता है। न्यायाधीशों ने कहा कि ऐसी बिक्री को कानूनी मान्यता नहीं है। इसकी बिक्री अवैध है। कानून के तहत नये खरीदार को इसका मालिकाना हक नहीं मिल सकता है। न्यायालय ने विन्सटन टैन की याचिका खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।
याचिकाकर्ता बेंगलुरु में स्थिति उस प्लैट का कब्जा चाहता था जो उसे उस समय बेचा गया था जब प्रवर्तन निदेशालय इस संपत्ति को जब्त करने की कार्यवाही कर रहा था। प्रवर्तन निदेशालय ने कोपेपोसा कानून के तहत इस्माइल शाबंदारी नामक व्यकि्त के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद उसकी संपत्ति जब्त करने के लिए नोटिस जारी किया था। इस्माइल को दुबई से प्राप्त 92 लाख रुपए की रकम से भारत में तमाम लोगों को भुगतान करने के तथ्य का पता चलने के बाद हिरासत में लिया गया था।
इस्माइल का फ्लैट जब्त करने की कार्यवाही के दौरान ही उसने चुपके से यह संपत्ति टैन को बेच दी। टैन को प्रवर्तन निर्देशालय की कार्रवाई की जानकारी नहीं थी। प्रवर्तन निदेशालय ने उसे इस संपत्ति का कब्जा लेने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 7, 2012, 18:05