Last Updated: Wednesday, June 19, 2013, 18:43
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली: उत्तराखंड में बाढ़ की सबसे ज्यादा विभीषिका झेलने वाले केदारनाथ में मंदिर गर्भगृह को छोड़कर कुछ नहीं बचा है। मंदिर समिति के अध्यक्ष का मानना है कि इस पवित्र धाम को फिर से बसाने में दो से तीन साल लग जाएंगे। जानकारी के अनुसार, मंदिर के समीप सारा बुनियादी ढांचा खत्म हो गया है जिसे वैज्ञानिक तरीके से नए सिरे से बसाने में दो से तीन साल लग जाएंगे क्योंकि वहां साल में सिर्फ दो या तीन महीने ही काम हो सकता है।
गौर हो कि बाढ़ में सबसे ज्यादा तबाही केदारनाथ में ही हुई है। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष और श्रीनगर के विधायक गणेश घौडियाल ने बताया कि मंदिर के भीतर कोई नुकसान नहीं हुआ है। लिंग पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन बाहर जमा मलबे का रेत और पानी मंदिर के भीतर घुस गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर के भीतर शरण लेने वाले करीब 250-300 लोगों को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन मंदिर के आसपास कुछ नहीं बचा। मंदिर समिति का कार्यालय, धर्मशालाएं और भंडार गृह सब नष्ट हो गया है।
मंदिर परिसर में करीब 12 से 14 हजार यात्रियों के रुकने का इंतजाम था लेकिन अब कुछ नहीं बचा है। घौड़ियाल ने कहा कि सिर्फ केदारनाथ क्षेत्र में ही 1000 करोड़ रूपये से अधिक के नुकसान का आकलन है। सारा बुनियादी ढांचा खत्म हो गया है जिसे वैज्ञानिक तरीके से नए सिरे से बसाने में दो से तीन साल लग जाएंगे क्योंकि वहां साल में सिर्फ दो या तीन महीने ही काम हो सकता है।
मंदिर के दरवाजों के क्षतिग्रस्त होने के बारे में पूछने पर घौड़ियाल ने कहा कि दरवाजे निकालकर रखे गए हैं ताकि पानी निकल सके। उन्होंने कहा कि उन्हें निकालकर रखा गया है ताकि पानी उत्तर से दक्षिण की ओर निकल सके। केदारनाथ जा रहे घौड़ियाल ने बताया कि मंदिर समिति के भी 19 कर्मचारियों का पता नहीं चल पा रहा है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में मौजूद हमारे 17 कर्मचारी और वहां मुआयने के लिये गए दो अधिकारी गायब हैं। फिलहाल प्राथमिकता फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित निकालने और लापता लोगों को तलाशना है। असल नुकसान का आकलन तो बाद में होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बद्रीनाथ में मंदिर और परिसर सुरक्षित है लेकिन लोगों में दहशत फैल गई है। बद्रीनाथ मंदिर के पीछे की ओर पानी का एक नया स्रोत फूटा है और भारत तिब्बत सीमा पुलिस की मदद से उसका मुंह दूसरी तरफ मोड़ा गया है। मंदिर को बाढ़ में कोई नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन लोग दहशत में है और उन्हें लगातार ढांढस बंधाया जा रहा है।
First Published: Wednesday, June 19, 2013, 18:43