Last Updated: Friday, December 14, 2012, 10:09

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में सपा के सदस्यों के बीते दिनों राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। इस विधेयक पर दो क्षेत्रीय दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और सपा के बीच संघर्ष खुलकर सामने आया। अब इस बिल पर सोमवार को राज्यसभा में बहस के बाद वोटिंग होगी। हालांकि अधिकांश विपक्षी दल इस बिल के समर्थन में हैं।
गौर हो कि इस बिल के विरोध में समाजवादी पार्टी के सांसदों ने राज्यसभा से गुरुवार को वाकआउट किया। भारी हंगामे के बीच सपा के दो सदस्यों को सदन से बाहर जाने का आदेश भी दिया गया तथा नाटकीय घटनाक्रम में बैठक को तीन बार स्थगित करना पड़ा।
गुरुवार केा संविधान 117वां संशोधन विधेयक, 2012 चर्चा के लिए रखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने इसके बारे में परिचय देना शुरू किया। इसी बीच सपा के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गए और हंगामा करना शुरू कर दिया।
पदोन्नति में आरक्षण विधेयक के राज्यसभा में विरोध के दौरान अपने सदस्यों पर कड़ी कार्रवाई किए जाने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट किया कि संप्रग सरकार को उसका समर्थन जारी रहेगा। सपा नेता राम गोपाल यादव ने संसद भवन परिसर में बीते दिन संवाददाताओं से कहा कि राज्यसभा की घटना और सरकार को समर्थन जारी रखने में कोई लेना देना नहीं है। गौरतलब है कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में सपा के सदस्यों ने राज्यसभा से वाकआउट किया। इससे पहले भारी हंगामे के बीच सपा के दो सदस्यों को सदन से बाहर जाने का आदेश दिया गया था तथा नाटकीय घटनाक्रम में बैठक को तीन बार स्थगित करना पड़ा।
सपा नेता का कहना है कि यह विधेयक असंवैधानिक है। लेकिन सरकार इसे पारित करने को आमदा है। यह लोगों के हित में नहीं है। विभिन्न दलों ने इसे पारित कराने का निर्णय किया है। हम इसका शुरू से ही विरोध कर रहे है और हमारे सदस्यों को एक एक करके बाहर जाने का आदेश दिया गया।
भाजपा नेता अरुण जेटली ने आगाह किया था कि संसद अनुच्छेद में संशोधन अथवा उसमें बदलाव करने के अपने अधिकार का उपयोग कर सकती है लेकिन इसके बुनियादी स्वरूप को नहीं छेड़ सकती। कांग्रेस के बालचंद मुंगेकर ने प्रोन्नति में आरक्षण को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार सचिव स्तर पर कोई अधिकारी अनुसूचित जाति का नहीं है। ज्यादातर चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोग हैं और प्रथम श्रेणी के पदों पर उनकी संख्या नगण्य है।
उधर, बहुजन समाज पार्टी की मायावती ने प्रोन्नति में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों को आरक्षण संबंधी विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि यह मुद्दा काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने जानना चाहा कि देश में ज्यादातर कांग्रेस पार्टी का शासन रहा है, लेकिन इस मामले में खराब स्थिति क्यों बनी हुई है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस की मानसिकता साफ होती तो आज इसके लिए संसद के बाहर और भीतर आवाज उठाने, लड़ने की जरुरत नहीं होती। उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक के पारित होने के बाद अगर पिछड़े वर्गो को आरक्षण देने के लिए भी कोई विधेयक लाती है तो बसपा पूरे देश में उसका स्वागत करेगी।
First Published: Friday, December 14, 2012, 10:09