Last Updated: Saturday, August 17, 2013, 17:47
गुवाहाटी : भारत के प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम ने न्यायपालिका से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि आम लोगों की अदालतों तक पहुंच आसान बने। साथ ही न्यायपालिका की विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए शीघ्र न्याय दिलवाया जाए।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘बार और पीठ दोनों की अदालतों में लंबित मामलों और न्याय के निष्पादन में विलंब से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि इसने (विलंब ने) न्यायपालिका की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है।’
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका देश का सर्वाधिक आदर पाने वाला संस्थान है और ‘इसकी विश्वसनीयता को बनाए रखना चाहिए लेकिन हाल के समय में इसमें काफी कमी आई है जिसे खत्म करना चाहिए ताकि लोगों का विश्वास प्रभावित नहीं हो।’
न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा, ‘पद ग्रहण करने के तुरंत बाद मैंने सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लंबित मामले के सिलसिले में पत्र लिखा और कहा कि पुराने मामलों में महिलाओं और किशोरों के मामले को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए।’
उन्होंने कहा कि सतर्क एवं तेज न्यायाधीशों वाली सक्रिय न्यायपालिका नाकाफी हो सकती है लेकिन कभी-कभी उन्हें ‘सामाजिक सरोकारों में रूचि रखने वाले न्यायाधीश बनना पड़ता है और कानून के परे जाना होता है और उन सिद्धांतों की पहचान करनी होती है जो कानून के लिए दिशानिर्देश हो।’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘सामाजिक सरोकार उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का विशिष्ट क्षेत्र नहीं है बल्कि निचली अदालतों के न्यायाधीशों को समय पड़ने पर इस बारे में सक्रियता दिखानी चाहिए।’
न्यायमूर्ति सदाशिवम ने न्यायपालिका से अपील की कि फैसला देते समय लैंगिक संवेदनशीलता का रुख अपनाएं। उन्होंने कहा कि यह सभी संबंधित पक्षों का दायित्व है कि लैगिंक समानता को सुसंगत बनाया जाए और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए संतुलन सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘अच्छे कानून निर्वात में संचालित नहीं होते बल्कि आम आदमी की सामाजिक आकांक्षाओं को दर्शाते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि न्यायाधीशों को समाज की अच्छी जानकारी हो।’
न्यायाधीशों और वकीलों को ‘न्यायपालिका का पहरेदार’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि भले ही उनका निर्वाचन लोग नहीं करते लेकिन आम लोगों की सेवा में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और दोनों का कर्तव्य बनता है कि शक्ति के दुरूपयोग को रोकें और प्रभावी न्याय सुनिश्चित करें।’
उन्होंने न्यायाधीशों से अपील की कि वे अपने पूरे कॅरियर में निष्पक्ष रहें और संविधान के दायरे से बाहर नहीं जाएं क्योंकि ‘वे भी संविधान के अंदर ही हैं न कि इससे ऊपर ।’
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में न्यायिक कार्यप्रणाली चुनौतीपूर्ण है लेकिन न्यायाधीश को प्रशासनिक नियंत्रण का उपयोग करना होता है जो उसे संविधान से प्राप्त है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 17, 2013, 17:47