Last Updated: Friday, April 26, 2013, 14:51
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा ने आज सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट कानून मंत्री अश्विनी कुमार की इच्छा के अनुरूप उनसे साझा की गई और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इसे देखा था।
न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा का दो पेज का हलफनामा इस मामले की सुनवाई की पिछली तारीख पर जांच एजेन्सी के वकील द्वारा किए गए दावे से एकदम विपरीत है। सीबीआई के वकील ने दावा किया था कि कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट सरकार के किसी सदस्य के साथ साझा नहीं की गई है। हलफनामे में कहा गया है, ‘मेरा कहना है कि इसका मसौदा (स्टेटस रिपोर्ट) शीर्ष न्यायालय में सौंपे जाने
से पहले कानून मंत्री की इच्छा के अनुरूप उनसे (अश्विनी कुमार से) साझा की गई। यह पीएमओ और कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक-एक अधिकारी से भी साझा की गई, जैसी कि उन्होंने इच्छा जताई थी।’ अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे को लेकर आज खूब हंगामा हुआ जिसके चलते दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। भाजपा ने अपने हमले तेज करते हुए कहा है कि सीबीआई निदेशक के हलफनामे के बाद सरकार बेनकाब हो गई है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का अपमान किया है। देश जानना चाहता है कि कोयला घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है या सरकार कर रही है। भाजपा ने कहा कि जो जांच के घेरे में थे उन्हें ही जांच रिपोर्ट दिखाई गई।
न्यायालय इस समय पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालस्वामी, पूर्व नौसेनाध्यक्ष एल. रामदास और पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम तथा वकील मनोहर लाल शर्मा की जनहित याचिकाओं पर विचार कर रहा है। इन याचिकाओं में कोयला ब्लाक आबंटन घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय इस मामले में 30 अप्रैल को आगे सुनवाई करेगा।
First Published: Friday, April 26, 2013, 11:25