गीता पर प्रतिबंध के खिलाफ अंतिम प्रयास - Zee News हिंदी

गीता पर प्रतिबंध के खिलाफ अंतिम प्रयास

 

नई दिल्ली :  रूस में भगवद् गीता को प्रतिबंध से बचाने के अंतिम प्रयास के तहत हिन्दुओं ने साइबेरिया की अदालत में अपील की है कि कोई भी फैसला लेने से पहले अदालत रूस की धार्मिक पाठ और उपदेश सम्बंधी मानवाधिकार समिति के विचारों पर जरूर गौर करे।

 

 

साइबेरिया के तामस्क शहर की अदालत में बचाव पक्ष के वकील मिखाइल फ्रालोव द्वारा पेश की गई इस याचिका के मद्देनजर अदालत ने मानवाधिकार समिति को अपना पक्ष रखने के लिए 24 घंटे का समय दिया है। अदालत समिति का पक्ष सुनने के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगी।

 

 

यह मामला तामस्क की अदालत में जून से ही चल रहा है। राज्य के अभियोजकों ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कंससनेस (इस्कॉन) के संस्थापक ए सी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा रूसी भाषा में गीता के अनुवाद 'भगवद गीता ऐज इट इज' पर 'सामाजिक वैमनस्य' फैलाने का आरोप लगाते हुए इसे प्रतिबंधित करने का अनुरोध किया है। अभियोजकों का कहना है कि रूस में इसका वितरण भी वैध नहीं है।

 

 

मॉस्को में रहने वाले भारतीयों की संख्या करीब 15,000 है और रूस में इस्कॉन धार्मिक आंदोलन के अनुयायियों ने भारत सरकार से इस मुद्दे के समाधान के लिए कूटनीतिक माध्यमों से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

 

 

रूस में इस्कॉन के प्रतिनिधियों ने इस सम्बंध में नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा है और यह कहते हुए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है कि हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

 

 

इस्कॉन के साधुप्रिया दास ने बताया, ‘आज जब यह मामला अदालत में आया तो हमारे वकील ने अपील की कि अदालत अपना फैसला सुनाने से पहले भगवद् गीता और हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों पर रूस की धार्मिक पाठ और उपदेश सम्बंधी मानवाधिकार समिति के विचारों पर जरूर गौर करे। ‘अदालत ने हमारी याचिका स्वीकार कर ली और समिति को अदालत के समक्ष अपने विचार रखने के लिए 24 घंटे का समय दिया। हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अदालत में यह हमारा अंतिम प्रयास है।‘

 

 

अधिवक्ता फ्रालोव ने आईएएनएस को बताया कि गीता के बचाव के लिए वह सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहते हैं इसीलिए अदालत से समिति की राय जानने की मांग की गई।

 

 

उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दुओं और रूस में रह रहे कृष्ण भक्तों ने बहुत पहले ही इस मानवाधिकार समिति से आग्रह किया था कि वह अदालत के समक्ष अपने विचार रखे। वह इस पर सहमत भी हो गई थी। समिति ने बाद में अदालत को पत्र लिखकर अपनी बात रखने की इच्छा जताई थी, जिसे अदालत ने स्वीकार भी कर लिया था। (एजेंसी)

First Published: Monday, December 19, 2011, 20:22

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