‘गुजारा भत्ता देने में बहानेबाजी नहीं’ - Zee News हिंदी

‘गुजारा भत्ता देने में बहानेबाजी नहीं’

दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने पतियों द्वारा बेरोजगारी और आर्थिक तंगी को आधार बनाकर अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने की आम प्रवृत्ति को स्वीकार्य नहीं बताते हुए एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को प्रति माह चार हजार रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।

 

अदालत ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। महिला ने अपनी याचिका में अपने पति से गुजारा भत्ता देने की मांग की थी, जो अपनी बेरोजगारी का हवाला देकर उसे पैसे देने से मना कर रहा था। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रचना तिवारी लखनपाल ने कहा, ‘पत्नी और बच्चे को जब गुजारा भत्ता देने की बारी आती है कि तो पतियों की अपनी आय कम करके दिखाने की आम प्रवृत्ति है। ऐसी परिस्थितियों में कई बार अदालतों को कुछ अनुमान लगाना पड़ता है।’ अदालत ने मुद्रा स्फीति दर, सामाजिक स्तर और पति-पत्नी की शैक्षणिक योग्यताओं को ध्यान में रखते हुए महिला को अंतरिम राशि देने का आदेश दिया।

 

मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘तथ्यों और परिस्थितियों, मुद्रा स्फीति दर, सामाजिक स्तर, शैक्षणिक योग्यता और दोनों पक्षों की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए मैं महिला और उसकी बेटी को चार हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश देती हूं।’ इस बात का भी ख्याल रखा गया है कि महिला कानूनी तौर पर उसकी पत्नी थी, वह अपनी बेटी की देखभाल भी कर रही है और उसकी आय का कोई स्रोत नहीं है।

 

रोहिणी में रहने वाली इस महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसकी शादी जुलाई 2008 में हुई और उसके सास-ससुर ज्यादा दहेज नहीं लाने के कारण उसे प्रताड़ित करते थे। उसने वर्ष 2010 में अपने पति और सास-ससुर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

 

गुजारा भत्ता की मांग करते हुए महिला ने कहा कि उसका पति एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता है। उसकी मासिक आय 17,000 रुपए है तथा वह कई संपत्तियों का मालिक है। हालांकि व्यक्ति ने दावा किया था कि वह तीन हजार रुपये प्रतिमाह कमा रहा था, लेकिन पिछले चार महीने से बेरोजगार है। उसने कहा था कि उसकी पत्नी एक ब्यूटी पार्लर चलाती है और वह 10 हजार रुपए प्रतिमाह कमाती है लेकिन वह इसे साबित नहीं कर सका। (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 1, 2012, 22:20

comments powered by Disqus