गुरु ने आखिरी ख्वाहिश में मांगी सिर्फ `कुरान`

गुरु ने आखिरी ख्वाहिश में मांगी सिर्फ `कुरान`

गुरु ने आखिरी ख्वाहिश में मांगी सिर्फ `कुरान`ज़ी न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली : संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को जब जेल अधिकारियों ने आखिरी ख्वाहिश पूछी तो उसने सिर्फ कुरान मांगी जबकि कुरान पहले से उसके पास पहले से ही मौजूद था। दरअसल आखिरी वक्त तक उसे यही लगता रहा कि उसे फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा। शनिवार सुबह जब उसे फांसी घर ले जाया गया तब उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसके दिन अब पूरे हो गए हैं। यह सोचकर वह मानसिक रूप से परेशान हो अंदर से परेशान हो गया और कुरान होते हुए भी उसने अंतिम इच्छा में कुरान की मांग कर दी।

जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 8 जनवरी को शाम पांच बजे के करीब जब अफजल गुरु को बताया गया कि अगले दिन सुबह 8 बजे उसे फांसी दे दी जाएगी तो यह सुनकर वह सन्न रह गया। दरअसल गुरु को लगता था कि कश्मीर में भावनाएं भड़कने के डर से सरकार उसे फांसी नहीं देगी और उसकी सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया जाएगा। खबर दिए जाने बाद शुक्रवार देर शाम उसे फांसी घर ले जाया गया जो उसके सेल से करीब 30 कदम की दूरी पर था। इस 30 कदम की दूरी के रास्ते में पड़ने वाले सभी सेल से कैदियों को हटा दिया गया था ताकि किसी को इस बात की भनक न लगे।

जेल सूत्रों के मुताबिक, फांसी घर में अफजल की लंबाई मापी गई और उसका वजन भी तौला गया। डॉक्टरों ने उसका ब्लड प्रेशर चेक किया। तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अफजल को फिर से उसके सेल में भेज दिया गया। जेल अधिकारियों ने उससे पूछा कि अगर कोई चीज चाहिए हो तो वह बता दे। इस पर अफजल ने कहा कि उसे कुरान चाहिए। जेल अधिकारियों ने उसे याद दिलाया कि कुरान तो उसके पास पहले से ही है।

शुक्रवार रात सेल में जेल अधिकारियों ने उससे अंतिम इच्छा के बारे में पूछा तो उसने कुछ नहीं बताया। खाने में भी उसने किसी चीज की फरमाइश नहीं की। रूटीन में उसके पसंदीदा खाना उसे भेज दिया गया। शनिवार सुबह जब अधिकारी उसे फांसी घर ले जाने के लिए उसके सेल में दाखिल हुए तो पता चला कि वह पहले से जगा था। उसने रात का खाना भी नहीं खाया था। इसके बाद वह नहाया और नमाज अता की। सुबह में भी उसने कोई अंतिम इच्छा नहीं जताई। इसके बाद उसे दोबारा फांसी घर ले जाया गया। अब उसे यकीन हो चुका था कि उसका समय पूरा हो गया है। फांसी देने वाला जल्लाद उसके पास आया और माफी मांगी।

परंपरा के मुताबिक फांसी देने से पहले जल्लाद फांसी पर लटकने वाले से कहता है कि वह अपनी इच्छा से उसकी जान नहीं ले रहा है। इसके बाद जैसे ही घड़ी का कांटा 8 पर पहुंचा, अफजल को फांसी पर लटका दिया गया। कुछ मिनट बाद डॉक्टर सीढ़ियों से उतरकर फांसी के तख्ते के नीचे पहुंच उसकी नब्ज जांची। इसके बाद तीन मिनट तक और इंतजार किया और दोबारा नब्ज देखने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। फांसी देने की प्रक्रिया के दौरान फांसी घर के सामने ही अफजल को दफनाने के लिए कब्र खोद ली गई थी। इस्लामिक रीति-रिवाजों के मुताबिक मौलाना की मौजूदगी में नमाज-ए-जनाजा पढ़ी गई और उसे दफन कर दिया गया।

First Published: Saturday, February 9, 2013, 15:06

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