गैंगरेप: पीड़िता की आंत प्रत्यारोपित करने का प्रस्ताव

गैंगरेप: पीड़िता की आंत प्रत्यारोपित करने का प्रस्ताव

गैंगरेप: पीड़िता की आंत प्रत्यारोपित करने का प्रस्तावनई दिल्ली : सामूहिक बलात्कार की शिकार छात्रा जहां पिछले पांच दिन से जीवन के लिए संघर्ष कर रही है वहीं एक प्रमुख निजी अस्पताल ने शुक्रवार को उसकी आंत के निशुल्क प्रत्यारोपण और बाद के इलाज का प्रस्ताव दिया।

सर गंगा राम अस्पताल के प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष डाक्टर आरएस राणा ने कहा कि उनके अस्पताल ने अपने प्रस्ताव के बारे में सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डाक्टर बीडी नथानी को बता दिया है। सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता का इलाज चल रहा है।

उल्लेखनीय है कि 23 वर्षीय छात्रा की क्षतिग्रस्त आंत को निकालने के लिए उसका आपरेशन किया गया है। छात्रा का इलाज कर रहे डाक्टरों ने कहा है कि वह ‘स्थिर, चैतन्य और सचेत है’ लेकिन वह अब भी जीवन रक्षक प्रणालियों पर है ।’
सर्जिकल गैस्ट्रोलॉजी और अंग प्रत्यारोपण विभाग के अध्यक्ष डाक्टर समीरन नूंडी ने कहा, ‘आंत को खराब होने पर आपरेशन के जरिए निकालना पड़ता है, जैसा इस मामले में हुआ। पीड़िता के लिए सामान्य कामकाज करने वाली आंत का प्रत्यारोपण ही जीवित रहने का एकमात्र उपाय है।

राणा ने कहा कि इस निजी अस्पताल ने भारत के पहले और एकमात्र जीवित दानदाता की आंत का प्रत्यारोपण किया है।

इस आपरेशन में शामिल अस्पताल के प्रत्यारोपण सर्जन डाक्टर नैमिश मेहता ने कहा,‘दो तरीके से आंत को हासिल किया जा सकता है या तो ब्रेन डेड दानदाता से या एक जीवित दानदाता से। एक बार हालत ठीक होने पर ये दोनों ही विकल्प पीड़िता के लिए उपलब्ध हो सकते हैं।’

डाक्टर मेहता के अनुसार ‘एक सामान्य आदमी की छोटी आंत की लंबाई करीब 600 सेंटीमीटर होती है जिसमें से 200 सेंटीमीटर आंत प्रत्यारोपण के लिए निकाली जा सकती है जिसका दानदाता पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता जबकि एक ब्रेन डेड दानदाता की पूरी आंत का इस्तेमाल आंत प्रत्यारोपण के लिए किया जा सकता है।’

उन्होंने कहा कि जब आंत काम करना बंद देती है तब ज्यादातर आंत को आपरेशन के जरिए निकाल लिया जाता है, ऐसा खून के प्रवाह में बाधा या आंत में गंभीर चोट के कारण होता है ।

आंत के काम करना बंद कर देने पर सामान्य रूप से इसका इलाज नसों के जरिए खाना देकर किया जाता है लेकिन समय बीतने के साथ ही इसमें परेशानी आने लगती है।

इस प्रक्रिया के दौरान समय बीतने पर नसें संक्रमित होने लगती हैं और यह संक्रमण जान लेवा तक हो सकता है । इस तरह से शरीर में भोजन पहुंचाए जाने से बाद में लीवर के क्षतिग्रस्त होने का भी जोखिम रहता है और लीवर के स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त होने से पहले ही आंत को प्रत्यारोपित करने की सलाह दी जाती है। (एजेंसी)

First Published: Friday, December 21, 2012, 19:30

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