Last Updated: Friday, December 9, 2011, 09:46
नई दिल्ली: संसद में शुक्रवार को लोकपाल पर रिपोर्ट पेश करने के बाद स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा है कि लोकपाल को संवैधानिक दर्जा मिले। सिंघवी ने कहा कि ऐसी उनकी कोशिश है और उन्होंने रिपोर्ट को संसद में पेश कर दी है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में शामिल करने या न करने का मसला संसद पर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रुप सी के कर्मचारी सीवीसी के तहत ही होंगे।
उन्होंने कहा कि लोकपाल को संविधान के नियम 253,254 के तहत संवैधानिक दर्जा मिले और लोकपाल पर स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों के बीच मतभेद की बात गलत है। सिंघवी ने बताया कि लोकपाल के दायरे से सीबीआई को बाहर रखा गया है। सांसदों के आचरण को भी लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश की गई है।
साथ ही लोकपाल नियुक्ति के लिए समिति बनाने की सिफारिश की गई है। सिंघवी ने बताया कि सरकार द्वारा 10 लाख से ज्यादा के अनुदान लेने वाले एनजीओ सरकार के नियंत्रण में रहेंगे। फोन टेपिंग पूर्व कानून के तहत ही हो सकेगा। इसमें लोकपाल को विशेष कोई अधिकार नहीं दिए जाएंगे।
सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने पर तीन मॉडल को संसद के सामने रखा गया है। सांसदों के आचरण पर पूरा व्यापक विवरण संसद के सामने रखा गया है। सिंघवी ने बताया कि लोकपाल व लोकायुक्तों के लिए बराबर का स्टैंडर्ड होना चाहिए। इसे भी संसद के सामने रखा गया है। न्यायापालिका के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाने की सिफारिश की गई है।
उन्होंने कहा ने कहा कि रिपोर्ट में सीवीसी, सीबीआई और लोकपाल के बीच संतुलन कायम किए जाने की बात कही गई है. बहरहाल, देश के लोगों की निगाहें लोकपाल बिल के सकारात्मक अंजाम की ओर टिकी हुई हैं।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 9, 2011, 22:01