Last Updated: Sunday, October 14, 2012, 18:42
नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने सरकार को लिखकर यह सुझाव दिया है कि चुनाव कानून में संशोधन किए जाएं ताकि विदेशी कंपनियों और सरकारी संस्थाओं से मिलने वाले आर्थिक योगदान का खुलासा करना राजनीतिक दलों के लिए अनिवार्य बन जाए।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने हाल में कानून मंत्रालय को लिखकर उस प्रारूप में सुधार करने को कहा है जिसमें राजनीतिक दल जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 29 के फार्म 24 ए के तहत आर्थिक योगदान के बारे में जानकारी देते हैं। आयोग ने सुझाव दिया है कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से विचार विमर्श कर जानकारी दिए जाने की पद्धति में बदलाव किए जाएं।
सूत्रों के अनुसार, आयोग ने सुझाव दिया है कि राजनीतिक दलों को विदेशी कंपनियों और सरकारी निकायों से मिलने वाले योगदान (नकद या चैक के जरिये) का ब्यौरा देने के लिए कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग ने दस्तावेज प्रक्रिया में समीक्षा के लिए कहा है ताकि राजनीतिक दलों को वित्तीय योगदान दिए जाने और उनके धन के स्रोत से जुड़े मुद्दों को पारदर्शी बनाया जा सके। चुनाव आयोग ने सुझाव दिया कि राजनीतिक दलों को मिले किसी भी तरह के योगदान पर उनके घोषणा पत्र के साथ अंकेक्षक की रिपोर्ट होनी चाहिए। उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि कितना धन नकद मिला और कितना चैक के जरिये।
आयोग द्वारा भेजे गये सुझाव में यह भी कहा गया है कि यदि राजनीतिक दलों को नगण्य योगदान दिया गया है तो समीक्षा किये गये फार्म 24ए में इसकी जानकारी भी दी जाए। अभी तक राजनीतिक दल चुनावी कानून के तहत 20 हजार रुपए से ऊपर के योगदान की राशि की चुनाव आयोग को जानकारी देते हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 14, 2012, 18:42