Last Updated: Monday, March 25, 2013, 18:48

नई दिल्ली : भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और पक्षपात तथा अन्य बुराइयों के जड़ जमाने की खबरों को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम व्यवस्था की समीक्षा करके इस प्रक्रिया में कार्यपालिका को भी शामिल किया जाए।
आडवाणी ने अपने नए ब्लाग में रूमा पाल और जे एस वर्मा जैसे शीर्ष अदालत के अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों के विचारों तथा विधि आयोग की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वर्तमान कॉलेजियम व्यवस्था में केवल भारत के प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं, जो पर्याप्त नहीं है। भाजपा नेता ने कहा कि ‘नियंत्रण एवं संतुलन’ के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति और उनके स्थानांतरण में कार्यपालिका की भूमिका भी होनी चाहिए।
ब्लाग में उन्होंने लिखा, ‘‘इन दिनों देश में सबसे अधिक जिस विषय पर चर्चा हो रही है वह है, भ्रष्टाचार। एक समय था जब भ्रष्टाचार की सारी बातें कार्यपालिका, राजनीतिकों और नौकरशाहों से संबंधित होती थीं। न्यायपालिका, विशेषकर उच्च न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के बारे में कोई चर्चा नहीं करता था। हाल के वषरे में स्थिति बदल गई है।’’ आडवाणी ने कहा कि अवकाशप्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रूमा पाल ने न्यायपालिका को सात घातक बुराइयों से ग्रसित बताया है और उनमें भ्रष्टाचार को एक बताया है।
भाजपा नेता ने कहा, हाल के दिनों में चयनित न्यायाधीशों के स्तर को लेकर भी लोगों की सोच में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जे एस वर्मा ने भी जजों की वर्तमान नियुक्ति व्यवस्था पर पुनर्विचार करने की जरूरत बताई है। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 25, 2013, 17:08