जुवेनाइल कानून में संशोधन को लेकर केंद्र से जवाब तलब

जुवेनाइल कानून में संशोधन को लेकर केंद्र से जवाब तलब

जुवेनाइल कानून में संशोधन को लेकर केंद्र से जवाब तलबनई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार और हत्या जैसे 'गम्भीर अपराध' करने वाले 16 वर्ष से अधिक के किशोरों को किशोर न्याय अधिनियम से बाहर रखने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और 14 फरवरी तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. मुरुगेसन और न्यायमूर्ति वी.के. जैन की खण्डपीठ ने केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय और केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय के जरिये सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिका में कुछ प्रावधानों को किशोर न्याय अधिनियम से बाहर रखने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया गया है कि हाल के दिनों में हुई कुछ घटनाओं से जाहिर होता है कि 16 वर्ष तक की उम्र के किशोर 'गम्भीर अपराधों' में संलिप्त रहे हैं और वे 'पूर्ण विकसित' हैं। याचिका में कहा गया है कि उन्हें समाज के संरक्षण व देखभाल की जरूरत नहीं है, बल्कि समाज को उनसे संरक्षण एवं देखभाल की जरूरत है।

अधिवक्ता आर. के. कपूर ने कहा कि यदि 16 वर्ष से अधिक के किशोर दुष्कर्म एवं हत्या जैसे 'जघन्य अपराध' में शामिल हैं तो उन्हें किशोर नहीं समझा जाना चाहिए और कड़ी सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 16 वर्ष से अधिक के किशोरों को 'आजीवन कारावास' तथा 'मृत्युदंड' से बचने नहीं दिया जाना चाहिए।

याचिका में केंद्र सरकार को अधिनियम में संशोधन करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है, ताकि बलात्कार के दोषियों को कड़ी सजा दी जा सके। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव मेहरा ने न्यायालय में कहा कि वह किशोर न्याय अधिनियम के कुछ प्रावधानों को रद्द करने पर केंद्र सरकार से निर्देश लेंगे। मेहरा ने यह भी कहा कि इस उद्देश्य के लिए न्यायमूर्ति जेएस वर्मा की अध्यक्षता में पहले ही एक समिति का गठन किया जा चुका है।

यह जनहित याचिका 16 दिसम्बर को दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म के सिलसिले में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, जिसके एक आरोपी ने नाबालिग होने का दावा किया है, जबकि उस पर छह आरोपियों में से सबसे अधिक बर्बर होने का आरोप है। याचिका में यह भी कहा गया है कि विभिन्न आपराधिक मामलों में गिरफ्तार किशोरों में 67 प्रतिशत संख्या 16-18 वर्ष के किशोरों की और वर्ष 2001 से उनके द्वारा किए जाने वाले अपराधों में 188 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

First Published: Wednesday, January 9, 2013, 13:32

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