Last Updated: Friday, October 12, 2012, 23:21
नई दिल्ली : वायुसेना के कड़े विरोध को दरकिनार करते हुए सरकार ने थल सेना की पुरानी मांग को मान लिया और उसे अपना स्वयं का लड़ाकू हेलीकाप्टर रखने की अनुमति प्रदान कर दी। रक्षा मंत्रालय ने यह भी तय किया कि हमलावर हेलीकाप्टरों की सारी भावी खरीद थल सेना को मुहैया कराई जाएगी। भारतीय वायुसेना एमआई 35 लड़ाकू हेलीकाप्टरों और शीघ्र ही खरीद किए जाने वाले 22 अपाचे हेलीकाप्टरों से अपना काम चलाएगी।
थल सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने बताया, ‘हमें रक्षा मंत्रालय का एक पत्र मिला है तथा हमें सरकार की ओर से लड़ाकू हेलीकाप्टर दिए गए हैं।’ रक्षा मंत्रालय ने थल सेना को लिखे पत्र में कहा, ‘भावी लड़ाकू हेलीकाप्टर थल सेना के पास होंगे।’ थल सेना इस बात की मांग करती आ रही है कि उसे लड़ाकू हेलीकाप्टरों और मध्यम ऊंचाई तक उड़ान भरने वाले हेलीकाप्टरों पर पूर्ण नियंत्रण चाहिए। उसका कहना है कि वह मुख्यत: इसका इस्तेमाल अपने अभियानों में करता है। लेकिन भारतीय वायुसेना इस मांग का कड़ाई से विरोध करती रही है।
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन ने हाल में कहा था कि देश में इस तरह की ‘छोटी वायुसेनाएं नहीं हो सकती जो अपने अपने काम करें।’ वायुसेना और थलसेना के बीच खींचतान के बीच रक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से सलाह मशविरा करके यह निर्णय किया है। बहरहाल, रक्षा मंत्रालय ने वायु सेना को एमआई 17 सहित मीडियम लिफ्ट हेलीकाप्टर रखने की इजाजत दे दी है।
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘मीडियम लिफ्ट हेलीकाप्टर भारतीय वायुसेना के पास रहेंगे।’ भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर गेरार्ड गालवे ने यहां कहा, ‘मौजूदा एमआई 35 की दो स्क्वाड्रन का स्वामित्व नहीं बदलेंगे। अपाचे हेलीकाप्टरों के लिए अमेरिका के साथ बातचीत चल रही है। उन्हें भी भारतीय वायुसेना में शामिल किया जायेगा।’ सेना इस बात पर कायम है कि रणनीतिक एवं लड़ाकू हेलीकाप्टरों को बल में शामिल किया जाना एक अपरिहार्य परिचालनगत आवश्यकता है क्योंकि चीन से लगी सीमाओं पर आधारभूत ढांचा संतोषजनक स्तर पर नहीं है। ऐसी परिसंपत्तियों से आवागमन के समय में कमी लाए जाने की जरूरत है।
थल सेना की योजना के अनुसार बल चाहता है कि वह अपनी हमलावर कोर के अंग के तहत लड़ाकू हेलीकाप्टर स्क्वाड्रन बनाए तथा उसे हर कोर स्तर पर विकसित करे। थल सेना की यह भी योजना है कि हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित किए जा रहे हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर को भी उसकी कोर में शामिल किया जाए ताकि पर्वतीय क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 12, 2012, 23:21