Last Updated: Monday, December 3, 2012, 20:33

नई दिल्ली : चीनी नौसेना के तेजी से आधुनिकीकरण पर ‘गंभीर चिंता’ जताते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि दक्षिण चीन सागर में भारत अपने हितों की रक्षा करेगा, भले ही इसका अर्थ वहां बल भेजना हो।
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा,‘हां, आप सही हैं। चीनी नौसेना का आधुनिकीकरण वाकई आकर्षक है। वास्तव में यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है, हम इसका सतत मूल्यांकन करते हैं और अपने विकल्प तथा रणनीति तैयार करते हैं।’
नौसेना प्रमुख दक्षिण चीन सागर में भारतीय हितों की रक्षा और चीनी नौसेना के आधुनिकीरण के संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
दक्षिण चीन सागर के बारे में पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब में नौसेना प्रमुख ने कहा कि उस समुद्री क्षेत्र में भारतीय पोतों का ‘अक्सर आना-जाना नहीं रहता है’ और उसके हित निर्बाध परिवहन और वहां के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसे हैं। दक्षिण चीन सागर को लेकर भारत एवं चीन के बीच विवाद है।
जोशी ने कहा कि उस क्षेत्र में भारत की उपस्थिति बहुत नियमित नहीं है। लेकिन ओएनजीसी विदेश जैसे देश के हितों से जुड़ी स्थिति हो तो हमें वहां जाने की जरूरत होगी और हम उसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि क्या उस प्रवृत्ति का अभ्यास कर रहे हैं, इसका संक्षिप्त उत्तर है..हां। दक्षिण चीन सागर में भारतीय हितों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम इसमें नौवहन की आजादी शामिल है।
उन्होंने कहा कि न सिर्फ हमारा बल्कि हर किसी का यह मानना है कि मामलों को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के तहत संबंधित पक्षों के साथ हल करना होगा। इस व्यवस्था का जिक्र संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि में किया गया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या दक्षिण चीन सागर में नौसेना ओएनजीसी विदेश की संपत्तियों को सुरक्षा मुहैया कराएगी, एडमिरल जोशी ने कहा कि इसके लिए सरकार से अनुमति की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि कुछ खास क्षेत्रों में ओएनजीसी विदेश के खास हित हैं उसके पास तीन ऊर्जा उत्खनन ब्लॉक हैं। इसके भारतीय हितों से जुड़े होने के कारण नौसेना जरूरत पड़ने पर तैयार रहेगी। उन्होंने हालांकि कहा कि ऐसी जरूरत आती है तो वह आश्वस्त हैं कि हमें वह मंजूरी मिल जाएगी।
चीनी नौसेना द्वारा दक्षिण चीन सागर में पोतों की तलाशी लिए जाने की स्थिति में भारत की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उस उद्देश्य के लिए बातचीत के नियम वहीं रहेंगे। एडमिरल जोशी ने कहा, ‘सर्वप्रथम, हमें उम्मीद नहीं है कि ऐसी स्थिति आएगी जब बातचीत का नियम लागू करना पड़े। दूसरा, बातचीत का नियम स्थिर है, वे क्षेत्र के हिसाब से बदल नहीं जाते।’
उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में नौवहन की आजादी सहित भारत के कुछ हित हैं पूर्वी और पश्चिमी बोर्ड में नौसेना की उपस्थिति के बीच संतुलन के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि हाल में बेड़े में शामिल किए गए पोत सिर्फ बंगाल की खाड़ी में तैनात किए गए हैं।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि हाल में बेड़े में शामिल आईएनएस सहयाद्रि, सतपुड़ा और शिवालिक को वहीं तैनात किया गया है। इसके अलावा आईएनएस जलाश्व भी वहीं तैनात है। परमाणु संचालित पनडुब्बी आईएनएस चक्र भी वहीं से काम कर रही है और आईएनएस अरिहंत भी वहां जाएगा।
पूर्वी समुद्री बोर्ड चीन पर नजर रखता है जबकि पश्चिमी समुद्री बोर्ड पाकिस्तान की ओर ध्यान देता है।विमानवाहक पोतों को निशाना बनाने के लिए चीन द्वारा दोंग फेंग शृंखला की मिसाइलें विकसित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर एडमिरल जोशी ने कहा कि निश्चित रूप से यह महत्वपूर्ण क्षमता है।उन्होंने कहा कि हम उसका अपने संदर्भ में मूल्यांकन कर रहे हैं और जो भी उचित कदम हो, उठा रहे हैं।
चीन द्वारा त्वरित गति से विमानवाहक पोत तैयार किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि हालांकि इसके लिए उसने पोतों और विमानों के निर्माण कर लिए हैं लेकिन दोनों को समेकित किए जाने की प्रक्रिया अभी बाकी है। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 3, 2012, 18:25