दिग्विजय ने आसाराम ट्रस्ट को दी थी सस्ती जमीन, सरकार को लगाया था 5 करोड़ का चूना

दिग्विजय ने आसाराम ट्रस्ट को दी थी सस्ती जमीन, सरकार को लगाया था 5 करोड़ का चूना

दिग्विजय ने आसाराम ट्रस्ट को दी थी सस्ती जमीन, सरकार को लगाया था 5 करोड़ का चूनाइंदौर : मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा स्वयंभू संत आसाराम के ट्रस्ट को वर्ष 1998 में यहां करीब सात हेक्टेयर सरकारी जमीन महज एक रुपये के सालाना भू-भाटक (लीज रेंट) पर आवंटित करने की कथित गड़बड़ियों को लेकर आज अदालत का दरवाजा खटखटाया गया।

स्थानीय कारोबारी दिग्विजय सिंह भंडारी (34) ने इस आवंटन को कटघरे में खड़ा करते हुए विशेष न्यायाधीश डीएन मिश्र के सामने दिग्विजय सिंह, आसाराम बापू, विवादास्पद प्रवचनकर्ता के बेटे नारायण सांई, प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग के मौजूदा प्रमुख सचिव और इंदौर के तत्कालीन जिलाधिकारी समेत सात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी। भंडारी के वकील मनोहर दलाल ने संवाददाताओं को बताया कि इस शिकायत में अदालत से गुहार की गई है कि वह इस मामले में पुलिस को भारतीय दंड विधान की धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 409 (लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात), धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और अन्य सम्बद्ध कानूनी प्रावधानों के तहत प्राथमिकी पंजीबद्ध करने के लिये आदेशित करे।

उन्होंने बताया कि अदालत ने इस शिकायत पर अगली सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख तय की है। वर्ष 1998 में दिग्विजय की अगुवाई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आसाराम गुरुकुल ट्रस्ट को इंदौर से सटे लिम्बोदी और बिलावली गांवों में करीब सात हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली बेशकीमती सरकारी जमीन महज एक रुपये के वार्षिक भू-भाटक (लीज रेंट) पर दी थी।

दलाल ने शिकायत में लगाए गए आरोपों के हवाले से कहा, ‘दिग्विजय आसाराम के भक्त और शिष्य रहे हैं। इसलिए उन्होंने संबंधित कायदों को दरकिनार करते हुए आसाराम के निजी ट्रस्ट को पांच करोड़ रुपये के तत्कालीन बाजार मूल्य वाली सरकारी जमीन गुरु दक्षिणा के रूप में महज एक रुपये के सालाना लीज रेंट पर आवंटित कर दी।’ उन्होंने कहा, ‘इस जमीन आवंटन से सरकारी खजाने को पांच करोड़ रुपये का चूना लग गया, जबकि आसाराम और उनके पुत्र को इतनी ही रकम का अवैध फायदा हुआ।’ आसाराम के खंडवा रोड स्थित आश्रम को लीज पर जमीन आवंटन के मामले में अदालत में उस वक्त शिकायत दर्ज करायी गयी है, जब स्वयंभू संत नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोप में न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद हैं।

इस आश्रम में लीज की जमीन और निर्माण कार्यों की अलग-अलग गड़बड़ियों के हालिया खुलासे के बाद जिला प्रशासन ने आश्रम के संचालक को कल 10 सितंबर को ही नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। लम्बी लुका-छिपी और नाटकीय घटनाक्रम के बाद जोधपुर पुलिस ने स्वयंभू संत को 31 अगस्त की आधी रात इसी आश्रम से गिरफ्तार किया था।

अधिकारियों के मुताबिक अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति की जांच में पता चला कि खंडवा रोड पर लीज की सरकारी जमीन पर खड़े आसाराम आश्रम में न केवल लीज डीड की शर्तों का उल्लंघन किया गया, बल्कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण और गैरकानूनी निर्माण भी कर लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने इस ट्रस्ट को योग केंद्र और औषधि उद्यान विकसित करने के लिये लीज पर जमीन दी थी। लेकिन लीज डीड की शर्तों को तोड़ते हुए इस जमीन पर एक स्कूल भी खोल लिया गया जिसे व्यावसायिक तौर पर चलाया जा रहा है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 11, 2013, 19:29

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