Last Updated: Monday, August 5, 2013, 11:20
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली: आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर कांग्रेस और सपा में तकरार बढ़ गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दुर्गा शक्ति के निलंबन मामले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था। सपा को यह नागवार गुजरा है। सपा ने कहा है कि वह संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक का समर्थन नहीं करेगी।
सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा है कि पार्टी ने खाद्य सुरक्षा विधेयक का समर्थन नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि इसका सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री को लिखे खत से कोई लेना देना नहीं है। अग्रवाल ने कहा कि पार्टी को खाद्य सुरक्षा विधेयक का मौजूदा स्वरूप स्वीकार नहीं है। संसद में मतदान के दौरान विधेयक के विरोध में मत डालेंगे।
दुर्गा शक्ति के मामले पर अग्रवाल ने कहा कि राजा जो करता है सही करता है। उन्होंने केन्द्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि उनसे जो बनता है वो कर लें। सोनिया गांधी पहले केन्द्र के घोटालों पर ध्यान दें तो अच्छा होगा। उन्होंने दुर्गा शक्ति का समर्थन करने वाली आईएएस एसोसिएशन को चापलूस करार दिया।
गौरतलब है कि यूपीए सरकार आज से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश करने वाली है। सपा पहले भी खाद्य सुरक्षा विधेयक को किसान विरोधी बता चुकी है। हाल ही में खबर आई थी कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के तेवर नरम पड़ गए हैं लेकिन नरेश अग्रवाल के बयान से साफ हो गया है कि दुर्गा शक्ति के मामले पर वह दबाव में आने वाली नहीं है।
ज्ञात हो कि सोनिया ने दुर्गा शक्ति के निलंबन पर दुख जताते हुए पीएम को पत्र लिखा है और उनसे मामले में दखल देने को कहा है। उधर, सपा सरकार के महात्वांकाक्षी विधेयक खाद्य विधेयक को पहले ही किसान विरोधी बता चुकी है। पार्टी ने कहा है कि विधेयक के पारित हो जान से किसानों को उनका वाजिब हक नहीं मिलेगा।
पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सपा ने कहा कि सोनिया गांधी को दो और पत्र लिखने चाहिए। एक हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के बारे में जिन्हें मुख्यमंत्री ने निलंबित किया था और दूसरा राजस्थान के मुख्यमंत्री को दो आईएएस अधिकारियों को निलंबित करने के लिए। दोनों मामलों में, राबर्ट वाड्रा का नाम आया था। ये मामले भूमि सौदों के बारे में थे। इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री को दो पत्र लिखने चाहिए ताकि इन सभी मामलों में न्याय किया जा सके।
2010 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी 28 वर्षीय नागपाल को गौतम बुद्ध नगर के एसडीएम के पद से 27 जुलाई को एक मस्जिद की दीवार गिराने का कथित रूप से आदेश देने के लिए इस आधार पर निलंबित कर दिया गया था कि इससे सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता था।
First Published: Monday, August 5, 2013, 11:20