Last Updated: Tuesday, May 28, 2013, 17:51

रायपुर : प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) ने राज्य के बस्तर जिले में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर घातक हमले की जिम्मेदारी लेते हुए देशभर में उसके खिलाफ चलाये जा रहे सभी अभियान तत्काल बंद करने की मांग की।
नक्सलियों ने कहा कि उनके हमले का मुख्य मकसद नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उनकी ‘जनविरोधी’ नीतियों के कारण ‘दंडित’ करना था।
नक्सलियों ने कहा कि दो घंटे तक भाकपा (माओवादी) कमांडरों और सुरक्षा बलों के बीच हुई गोलीबारी के दौरान कुछ निर्दोष लोग और कांग्रेस के निचले स्तर के कुछ कार्यकर्ता भी मारे गए।
मीडिया को जारी एक विज्ञप्ति में दंडकारण्य विशेष जोनल कमिटी के प्रवक्ता गुडसा उसेण्डी ने कहा, ‘वे हमारे दुश्मन नहीं थे, लेकिन उन्हें जान गंवानी पड़ी। निर्दोष लोगों की मौत पर हम दुख और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।’ पत्र में सलमा जुडुम आंदोलन की शुरुआत में अहम भूमिका निभाने वाले महेंद्र कर्मा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने और छत्तीसगढ में जनविरोधी नीतियां चलाने का आरोप भी लगाया गया है।
संगठन ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राज्य में उद्योगपतियों के हित में नीतियां तैयार करने में सक्रिय भूमिका निभायी। शुक्ल कांग्रेस काफिले पर नक्सलियों की गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गये हैं और उनका गुडगांव के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
उसेण्डी ने हत्याओं को जायज ठहराने के इरादे से अपने बयान में कहा, ‘आदिवासियों के नेता कहे जाने वाले कर्मा एक सामंती मांझी परिवार से थे। उनका परिवार लगातार आदिवासियों का दमन करता आया है।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों सलवा जुडुम अभियान शुरू करने के लिये साथ हो गये ताकि बर्बरतापूर्ण अभियान (नक्सलियों के खिलाफ) छेड़ा जा सके।
बयान में कहा गया है, ‘सलवा जुडुम बस्तर इलाके में रहने वाले लोगों के लिए अभिशाप बन गया है। इस अभियान के नाम पर मासूम महिलाओं और पुरुषों पर अनेक अत्याचार किए गए। कर्मा ने स्वयं गांवों में सलवा जुडुम से जुड़े कई अभियान चलाए।’ इस हमले के जरिए हमने उनलोगों की तरफ से बदला ले लिया जिनपर सलवा जुडुम के नाम पर कहर ढाया गया।
बयान में कहा गया है, ‘हमले के तत्काल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह ने हमले को लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला करार दिया। भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने राजनीति से ऊपर उठकर नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने की बात कही। हम पूछते हैं कि क्या उन्हें लोकतंत्र या लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में बोलने का अधिकार है?’
उसेण्डी ने आरोप लगाया, ‘हाल ही में 17 मई को बीजापुर जिले में अर्धसैनिक बलों से मुठभेड़ के दौरान तीन बच्चों समेत आठ लोग मारे गए थे। उस समय किसी ने लोकतांत्रिक मूल्यों की बात क्यों नहीं की।’ उन्होंने कई और उदाहरण दिये जिसमें आदिवासियों को कथित रूप से सुरक्षा बलों ने मारा था। भाकपा (माओवादी) ने सभी लोगों से तत्काल ग्रीन हंट अभियान बंद करने और इन क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों को वापस बुलाने की मांग की।
बयान में कहा गया, ‘प्रशिक्षण के नाम पर इस क्षेत्र में सेना को तैनात नहीं किया जाना चाहिए और जेल में बंद सभी नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए। गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और छत्तीसगढ़ विशेष लोक सुरक्षा अधिनियम जैसे कडे कानूनों को समाप्त किया जाना चाहिए। इसके साथ ही निगमित घरानों से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के बारे में किये गये सभी सहमति पत्रों को रद्द किया जाना चाहिए।’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 28, 2013, 11:59