Last Updated: Wednesday, August 22, 2012, 00:44

नई दिल्ली : सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति-जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण के मामले में बुधवार को एक संविधान संशोधन विधेयक लाने की अपनी योजना फिलहाल टाल दी क्योंकि इस मुद्दे पर मंगलवार को हुई सर्वदलीय बैठक में अधिकतर राजनीतिक दलों ने वैधानिक रूप से टिकाउ कानून की मांग की है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिये आज एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि सरकार इस संदर्भ में संशोधन लाने की पक्षधर है और इसके सभी पक्षों का कानूनी रूप से निरीक्षण करने बाद जल्द ही एक संशोधन विधेयक लाएगी।
गौरतलब है कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने के उत्तरप्रदेश सरकार के 28 अप्रैल के निर्णय को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद इस मुद्दे पर विचार करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में मनमोहन ने कहा कि सरकार वर्तमान स्थिति के संभावित समाधान का रास्ता तलाश रही है।
बैठक के दौरान सिर्फ समाजवादी पार्टी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा समेत कई दलों के नेताओं ने सुझाव दिया कि सरकार को जल्दबाजी में फैसला नहीं लेना चाहिए और सभी पक्षों पर सावधानी से विचार करने के बाद ही संवैधानिक संशोधन विधेयक लाना चाहिए।
तीन घंटे चली बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि सभी राजनैतिक दलों के विचार सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और कांग्रेस अनुसूचित जाति-जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने के पक्षधर हैं। कुछ राज्यों के ऐसे ही प्रावधान को न्यायालयों ने खारिज कर दिया है..इस तरह के संशोधन को कानूनी रूप से टिकाउ होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा संशोधन लायेगी जो कानूनी रूप से टिकाउ होगा। संशोधनों को जल्द ही लाया जाएगा। हम इस पर काम कर रहे हैं। नारायणसामी ने नौ अगस्त को राज्यसभा में घोषणा की थी कि सरकार इस मामले में 22 अगस्त को एक संशोधन विधेयक लाएगी। अपने कार्यकाल में यह फैसला करने वाली बसपा प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से इस विधेयक को वर्तमान मानसून सत्र में लाने का आग्रह किया था।
उधर, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि ऐसा विधेयक नहीं आएगा। अगर संसद में यह विधेयक पेश हुआ तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे, चाहे हम अकेले क्यों न हों। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इसका विरोध कर रही है क्योंकि इससे एक खास समुदाय के कनिष्ठ अधिकारी छलांग लगा कर अपने सहकर्मियों से वरिष्ठ बन जाएंगे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 22, 2012, 00:44