Last Updated: Saturday, August 17, 2013, 18:37

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने भारत के शीर्ष 20 वांछित आतंकवादियों में से एक अब्दुल करीम टुंडा उर्फ अब्दुल कदूस को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया है। वह देश में हुए 40 से अधिक बम धमाकों का मास्टरमाइंड बताया जाता है। बम बनाने में माहिर और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इस 70 वर्षीय आतंकवादी को शुक्रवार को अपराह्न करीब 3 बजे नेपाल से लगती बांवसा-महेंद्रनगर सीमा से गिरफ्तार किया गया और दिल्ली लाया गया।
टुंडा उन 20 शीर्ष आतंकियों की सूची में शामिल था जिनकी मांग भारत ने पाकिस्तान सरकार से मुम्बई हमलों के बाद की थी। इस सूची में लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर और दाऊद इब्राहीम तथा अन्य का नाम शामिल है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि टुंडा अकेले दिल्ली में ही 21 मामलों में वांछित था जिन्हें उसने 1994 में और 1996 से 1998 के बीच अंजाम दिया।
उन्होंने कहा कि टुंडा ने भटके हुए युवाओं को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध यूरिया, नाइट्रिक एसिड, पोटेशियम क्लोराइड, नाइट्रोबेंजेन और शक्कर जैसी चीजों से बम बनाने और बमों को भीड़ वाली जगहों पर लगाने का प्रशिक्षण दिया था। विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) एसएन श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि टुंडा के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट नंबर-एसी 4413161 था जो 23 जनवरी 2013 को अब्दुल कदूस के नाम से जारी किया गया था।
चालीस साल की उम्र में कट्टरपंथी जेहादी आतंकवादी बनने से पहले टुंडा बढ़ई, कबाड़ी और कपड़ा विक्रेता के रूप में काम करता था। उसका छोटा भाई अब्दुल मलिक (पेशे से बढ़ई) भारत में उसके परिवार का एकमात्र जीवित सदस्य बताया जाता है। टुंडा की गिरफ्तारी से संबंधित परिस्थितियों को लेकर विरोधाभासी खबरें हैं। एक पुलिस सूत्र ने दावा किया कि उसे एक खाड़ी देश से वापस भेजा गया है।
दूसरे सूत्र ने कहा कि टुंडा ने करीब 10 दिन पहले कराची छोड़ा था और वह दुबई के जरिए काठमांडो पहुंचा। खुफिया एजेंसियां दुबई से उस पर नजर रखे हुए थीं। उन्होंने दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ को गोपनीय सूचना दी जिसने अंतत: कल टुंडा को भारत-नेपाल सीमा से धर दबोचा।
टुंडा को शनिवार सुबह यहां एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने उसे तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। श्रीवास्तव ने कहा, ‘अब्दुल करीम टुंडा लश्कर-ए-तैयबा का विस्फोट विशेषज्ञ-आतंकवादी है जो 1993 में मुम्बई में हुए सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोटों, 1997-98 के दिल्ली बम विस्फोटों और उत्तर प्रदेश में सिलसिलेवार धमाकों तथा पानीपत, सोनीपत, लुधियाना, हैदराबाद आदि जगहों पर हुए विस्फोटों में भी वांछित था।’
उन्होंने कहा कि टुंडा 1993 में हैदराबाद, गुलबर्गा, सूरत और लखनऊ में ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के कई मामलों में भी वांछित बताया जाता है। श्रीवास्तव ने बताया कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से संबंधित पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने टुंडा के निर्देश पर दिल्ली में 24, हरियाणा में 5 और उत्तर प्रदेश में 3 विस्फोटों को अंजाम दिया।
उन्होंने कहा, ‘टुंडा ने 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान दिल्ली में और इसके आसपास के इलाकों में धमाके करने की योजना बनाई थी, लेकिन उसके साथियों की गिरफ्तारी के साथ उसकी साजिश को समय रहते विफल कर दिया गया।’
सीबीआई ने टुंडा पर जम्मू कश्मीर के बाहर लश्कर ए तैयबा के बड़े आतंकी हमलों-मुम्बई, हैदराबाद, दिल्ली, रोहतक और जालंधर में सिलसिलेवार ढंग से 43 बम विस्फोट कराने का अरोप लगाया था। उन हमलों में 20 से अधिक लोग मारे गए थे और 400 से अधिक घायल हुए थे।
पुलिस के संयुक्त आयुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) एमएम ओबेराय ने कहा, ‘बाईं बांह से अपंग होने के कारण टुंडा उपनाम से जाना जाने वाला आतंकवादी पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा, आईएसआई से करीब से जुड़ा था। 1980 के दशक के शुरू में आईएसआई के जरिए वह आतंकवाद से जुड़ा था।’
ओबेराय ने बताया, ‘मार्च 1985 में अब्दुल करीम (टुंडा) व्यापार के सिलसिले में जब मुम्बई में था तो उस समय वहां भिवंडी में सांप्रदायिक दंगे हुए थे।’ उन्होंने बताया कि बम बनाते समय विस्फोट होने के कारण उसका एक हाथ उड़ गया था। बाद में वह ‘टुंडा’ उपनाम से कुख्यात हो गया।
ओबेराय ने बताया, ‘मुम्बई में अब्दुल करीम टुंडा ने डॉ. जलीस अंसारी नाम के व्यक्ति से दोस्ती की तथा ‘तंजीम इसलाह उल मुसलिमीन’ (मुस्लिमों के उत्थान के लिए इस्लामी सशस्त्र संगठन) नाम का संगठन बनाया।’ उन्होंने कहा, ‘एक अन्य शीर्ष लश्कर आतंकवादी आजम गौरी बाबरी मस्जिद गिराए जाने का बदला लेने के लिए अहल ए हदीस द्वारा संचालित तंजीम में शामिल हुआ।’
पुलिस ने बताया कि टुंडा और अंसारी ने 1993 में मुम्बई और हैदराबाद में सिलसिलेवार विस्फोट किए तथा ट्रेनों में भी सात अलग-अलग धमाके किए। जनवरी 1994 में जलीस अंसारी की गिरफ्तारी के बाद टुंडा बांग्लादेश की राजधानी ढाका भाग गया था।
ओबेराय ने कहा, ‘ढाका में टुंडा ने जेहादी तत्वों को बम बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया। वह पाकिस्तान में भी रहा और मुजाहिदों को आईईडी तथा अन्य विस्फोटक बनाने का प्रशिक्षण दिया, जिन्हें जेहाद के लिए पाकिस्तान से भारत भेजा जाता है।’
उन्होंने बताया कि टुंडा 1996-1998 के बम धमाकों की योजना बनाने के लिए ढाका से भारत लौट आया। दिल्ली में 1996 से 1998 के दौरान हुए लगभग सभी धमाकों में पाकिस्तान और बांग्लादेश से ताल्लुक रखने वाले टुंडा के लोगों ने बमों में पेंसिल बैटरी का इस्तेमाल किया था। इन विस्फोटों में एक 1997 में दिल्ली में पंजाबी बाग के रामपुरा क्षेत्र में यात्रियों से खचाखच भरी निजी बस में हुआ था। इसमें चार यात्री मारे गए थे और 24 अन्य घायल हुए थे।
टुंडा के खिलाफ 1996 में इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि टुंडा की गिरफ्तारी से भारत में लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों की कुछ जानकारी मिलेगी। पुलिस के अनुसार टुंडा नई दिल्ली, पानीपत, सोनीपत, लुधियाना, कानपुर और वाराणसी में दिसंबर 1996 से जनवरी 1998 के बीच हुए सिलसिलेवार धमाकों का भी मास्टरमाइंड था।
बाद में टुंडा 1998 में गाजियाबाद स्थित अपने घर से बांग्लादेश के जरिए पाकिस्तान भाग गया था। पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के उपायुक्त संजीव यादव ने कहा, ‘सन 2000 में टुंडा की तलाश अस्थाई रूप से तब बंद हो गई जब खबर आई कि वह बांग्लादेश में एक धमाके में मारा गया है।’
उन्होंने कहा, ‘इस बीच, टुंडा की लगातार गतिविधियों की जानकारी तब सामने आई जब अगस्त 2005 में दुबई में लश्कर-ए-तैयबा के कथित प्रमुख अब्दुल रजाक को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने गिरफ्तार कर लिया। तब उसने खुलासा किया कि टुंडा जिंदा है और उसने 2003 में लाहौर में उससे मुलाकात की थी।’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 17, 2013, 18:37